

दोस्तों छठ पूजा एक ऐसा त्यौहार है जिसमें महिलाओं पूरे चार दिनों तक लगातार छठी मैया सूर्य देवता की पूजा अर्चना करती हैं। इस त्योहार का सांस्कृतिक मूल्य के साथ सामाजिक मूल्य भी है क्योंकि इस पर्व पर समाज के कई लोग एक साथ जुड़ते है। आज हमारे लेख में हम जानेंगे कि छठ पूजा क्यों और कब मनाई जाती है?
कब मनाई जाती है छठ पूजा?

वैसे तो यह पर्व एक वर्ष में दो बार आता है। पहले को ‘चैत्री छठ’ कहा जाता है क्योंकि यह चैत्र के महीने में पड़ती है। और दूसरे को ‘कार्तिकी छठ’ कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक के महीने में पड़ती है। अभी आने वाली
छठ कार्तिकी छठ होगी और यह दिवाली के छह दिन बाद मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 17 नवंबर से 20 नवंबर तक मनाया जाएगा। जिसमें पहला दिन नहाय खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य, चौथा दिन ऊषा अर्घ्य का होता है।
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क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?

छठ पूजा का पुराणों में बहुत महत्व है। माताएं यह व्रत अपने पुत्र की रक्षा और आयु के लिए करती हैं। छठ पूजा की मान्यताओं की कई कथा है जिसके अनुसार माता द्रौपदी माता सीता और सूर्यपुत्र कर्ण ने भी इस मान्यता को पूजा था।
महाभारत के समय से हुई थी शुरुआत
हिंदू पुराणों के मुताबिक सूर्य पुत्र कर्ण ने इस पर्व की शुरुआत की थी। कहा जाता है की कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। और वह घंटो सूर्य को अर्घ्य देते थे और आज भी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा जारी है।
द्रौपदी ने भी की थी छठ पूजा
मान्यताओं के अनुसार माता द्रौपदी ने भी छठ पूजा का उपवास रखा था। जब पांडव अपना सब कुछ हार गए थे तो माता द्रौपदी ने छठ पूजा का उपवास रखा था। उपवास रखने के उपरांत द्रौपदी की मनोकामना पूरी हुई और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया।
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माता सीता ने भी की सूर्य की आराधना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब श्री राम और माता सीता लंका से पहली बार अयोध्या वापस आए थे। तब सीता जी को ऋषि मुद्गल ने छठ पूजा का व्रत रखकर सूर्य देवता को अर्घ्य देने की बात कही थी। तभी माता सीता ने राम राज्य की स्थापना के लिए सूर्य देवता का पूजन किया था।
तो दोस्तो यह थी कुछ पौराणिक कथाएं जो छठ पूजा के इतिहास को बताती हैं। यह लेख यदि आपको पसंद आया हो तो इस पर लाइक और कमेंट जरुर करें और ऐसी ही जानकारी के लिए जुड़े रहिए मुझसे…