

सनातन धर्म में अनेकों व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनका अपना-अपना विशेष महत्व होता है. इनमें कई व्रत पति की लंबी उम्र के लिए होते हैं तो कुछ में बच्चों की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना के लिए की जाती है. इन्हीं में से एक है जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत. जो मुख्यतः संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए माताएं रखती हैं.
क्यों रखा जाता है जितिया व्रत
जीवित्पुत्रिका व्रत अर्थात जितिया व्रत अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं अपनी संतानों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए पूरा दिन तथा पूरी रात 24 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक है। अश्विन मास की कृष्ण पक्ष सप्तमी से नवमी तक जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है।
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कब रखा जाता है जितिया व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से नवमी तिथि तक रखा जाता है. इस बार यह व्रत 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है. व्रत में व्यक्ति को 1 दिन पहले से तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहार का सेवन नहीं करना होता है. इसके अलावा ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है.
जितिया व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान अश्वत्थामा पिता की मौत का समाचार सुनकर बेहद नाराज हो गए थे. वे मन में बदले की भावना लेकर पांडवों के शिविर में आ गए. शिविर में 5 लोग सो रहे थे, जिसे अश्वत्थामा ने पांडव समझकर मृत्यु लोक पहुंचा दिया था. मारे गए ये पांचों लोग द्रोपदी की संतान कही जाती हैं. इस घटना के बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्य मणि छीन ली.
जिससे क्रोधित होकर अश्वत्थामा ने गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के बच्चे को मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद भगवान कृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की अजन्मी संतान को अपने सभी पुण्य का फल देकर गर्भ में ही जीवित कर दिया. गर्भ में पल रहे इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका का नाम दिया गया. तभी से माताओं द्वारा बच्चे की लंबी उम्र और रक्षा की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की परंपरा आरंभ हुई.
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जितिया महापर्व 2023: शुभ मुहूर्त
जितिया व्रत शुरू | 6 अक्टूबर 2023 शुक्रवार की सुबह 6:34 से शुरू |
जितिया व्रत ख़त्म | 7 अक्टूबर 2023, शनिवार को सुबह 8:08 पर |
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