शीतला माता मंदिर पटना
शीतला माता मन्दिर या शीतला देवी मन्दिर भारतीय राज्य बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। यह हिन्दू देवी माँदुर्गा का एक उपासना पीठ के साथ साथ शक्ति पीठ भी माना जाता है। पटना के एेतिहासिक माता शीतला के मंदिर का अपना अलग ही महत्व है। मंदिर के प्रांगण में अगमकुंआ है जिसमें सम्राट अशोक ने अपनी भाईयों की हत्या के बाद उनके शव डाल दिए थे।

शीतला माता मंदिर का निर्माण
वर्तमान मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में भरतपुर के हिंदू जाट राजा जवाहर सिंह ने मुगलों पर अपनी जीत की याद में करवाया था, जिसके लिए उन्होंने शीतला माता का आशीर्वाद लिया था।
शीतला माता मंदिर का इतिहास
शीतला माता मंदिर की ऐतिहासिकता व महत्ता के संबंध में बताया जाता है कि इतिहासकारों के मुताबिक 2500 वर्ष पूर्व यहां कुआं एवं वर्तमान नवपिंडी थी जो छोटे मंदिर में स्थापित थी। पुजारी बताते हैं कि एक समय तुलसी मंडी में कुआं की खुदाई के समय वर्तमान शीतला जी की मूर्ति खड़े रूप में प्राप्त हुई। छोटी एवं बड़ी पहाड़ी तथा तुलसी मंडी ग्रामवासियों ने विचार विमर्श कर मूर्ति (शीतला) की इसी स्थान पर प्राण प्रतिष्ठा करा दी।
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मंदिर में स्थापित हैं माता शीतला
मुख्य द्वार के पूरब ही शीतला माता का मंदिर है। मंदिर के दरवाजे के पूरब एवं दक्षिण कोने पर शीतला माता की खड़ी मूर्ति है। शीतला माता के मूर्ति के दाहिने त्रिशूल तथा उसके दाहिने ङ्क्षपडी रूप में योगिनी विराजमान है। शीतला माता की मूर्ति के बांये अंगार माता की छोटी मूर्ति है। दरवाजे के भीतर ङ्क्षपडी रूप में सात शीतला, एक भैरव एवं एक गौरेया है जो गुंबज के ठीक नीचे स्थापित है।
शीतला माता मंदिर की प्रतिमा
इसमें शीतला देवी की छवि और ‘सप्तमातृकाओं’ (सात मातृ रूपों) के पिंड हैं। मंदिर की ऊंचाई कम है लेकिन मूर्तियां प्राचीन हैं।
पूरब में है मौर्य कालीन कुआं
इस मंदिर से सटे पूरब में ही ऐतिहासिक अगमकुआं हैं। अगमकुआं के नाम से प्रसिद्ध यह कुआं चौथी शताब्दी के मौर्य वंशीय शासक सम्राट अशोककालीन कुआं है। इतिहासकार के अनुसार सम्राट अशोक ने अपने राज्यारोहण के पूर्व अपने 99 भाईयों की हत्या करवा कर इसी कुआं में डलवा दिया था। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ईट से ऊंचा करके घेर दिया गया है।

मनौती के लिए है बलि स्थान
मंदिर के पूरब और उत्तर कोने पर बलि स्थान है जहां मनौती करने वाले बलि चढ़ाते हैं। मंदिर के दक्षिण में एक हवन कुंड है एवं इसी हवन कुंड के दक्षिण में वैष्णो देवी का छोटा मंदिर है। मुख्य मंदिर के उत्तर भी एक हवन कुंड है।
शीतला माता का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला माता चेचक, खसरा आदि की देवी के रूप में पूजी जाती है। इन्हें शक्ति के दो स्वरुप, देवी दुर्गा और देवी पार्वती के अवतार के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग मां शीतला का पूजन का करते हैं, ताकि उनके बच्चे और परिवार वाले इस तरह की बीमारियों से बचे रह सके।
शीतला माता मंदिर की विशेषताएं
यह आमतौर पर सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति के लिए चेचक के इलाज के लिए पूजनीय और पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने पर असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं।
शीतला माता मंदिर कैसे जाएं
सड़क द्वारा – जिस स्थान पर मंदिर स्थित है वह शहर के बाहरी इलाके में महात्मा गांधी सेतु के पास स्थित है। यहां निजी कैब या ऑटो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल द्वारा – निकटतम रेलवे स्टेशन पटना जंक्शन है जो मंदिर से 1 किमी की दूरी पर है।
हवाईजहाज से – निकटतम हवाई अड्डा जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो मंदिर से 5 किमी की दूरी पर है।
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2 thoughts on “शीतला माता मंदिर, पटना: ऐतिहासिक पूजा स्थल और धार्मिक परंपरा”
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