आपने अकबर के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको अबुल फजल के बारे में जानकारी देने वाले हैं। बता दें कि अबुल फजल ना सिर्फ अकबर के फ्रेंड थे बल्कि उन्होंने अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी जैसे प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की थी।

इतिहास गवाह है कि हमारे भारत में कितने साम्राज्यों का शासन रहा है। इसमें से कुछ साम्राज्य में शासन करने वाले राजा-महाराजाओं को आज भी याद किया जाता है। आज भी कई ऐसे लोग है जो प्राचीन इतिहास को पढ़ने में रुचि रखते हैं। आपने यकीनन कई महान राजा-रानियों के बारे में सुना या फिर पढ़ा होगा।
मगर आज हम हिंदुस्तान पर राज करने वाले मुगल साम्राज्य से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे क्योंकि यह एक ऐसा साम्राज्य है, जो अपने आपने एक एरा है क्योंकि इस दौरान कई राज वंश ऐसे रहे हैं, जिनके बारे में लोग हमेशा जानने के इच्छुक रहते हैं- जैसे- बादशाह औरंगजेब, बादशाह शाहजहां, बादशाह बाबर आदि।
हालांकि, मुगल इतिहास में बाबर के बाद सबसे ज्यादा अगर कोई इंटरेस्टिंग शख्स रहा है वो अकबर है क्योंकि अकबर 13 साल की उम्र में बादशाह बनने वाला पहला मुगल बादशाह था। अकबर न सिर्फ अंदरूनी बल्कि बाहरी तौर पर राजनीति में फंसा हुआ बादशाह रहा है। जितना विवाद और कोरा झूठ अकबर को लेकर चलता है। उसके बाद तो यही समझ आता है कि आपको उन्हें पढ़ना ही होगा।
यही वजह है कि हम अपनी सीरीज में आए-आए दिन मुगल साम्राज्य के बारे में जानकारी देते रहते हैं। इसी कड़ी आज हम आपको अकबर के प्रिय मित्र के बारे में जानकारी देंगे, जिनका नाम इतिहास में दर्ज है।
मुगल साम्राज्य के बारे में जानें

मुगल साम्राज्य की हुकूमत हिंदुस्तान पर लगभग 1526 से 1857 तक रही है, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत से की थी। हालांकि, बाबर के बाद कई ऐसे बादशाह रहे हैं, जिन्होंने मुगल साम्राज्य को आगे बढ़ाने का काम किया। साथ ही, हिंदुस्तान में कई ऐतिहासिक स्मारक भी बनवाई, जो आज भी अस्तित्व में है।
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अबुल फजल कौन था?
अबुल फजल का पूरा नाम अबुल फजल इब्न मुबारक था। यह अरब के हाजी जी परिवार से संबंध रखते थे, जिनके पिता का नाम शेक मुबारक था।
इनका जन्म 14 जनवरी 1551 में हुआ था। बता दें कि अबुल फजल ने अकबरनामा एवं आइन-ए-अकबरी जैसे प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की। कहा जाता है बाद में परिवार ने राजस्थान के नागौर को हमेशा के लिए अपना निवास बना लिया था।
अकबर के दरबार में अबुल फजल क्या थे?

अबुल फजल मुगल बादशाह अकबर का सिर्फ दोस्त थे बल्कि नवरत्नों का भी हिस्सा थे। इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें, तो मालूम होगा कि अकबर के कुछ युद्ध अभियानों को सफल बनाने में भी अबुल फजल का काफी योगदान रहा है। (मुगल राजकुमारी पादशाह बेगम के बारे में जानें)
बता दें कि अकबर के अहमदनगर युद्ध में शहजादे मुराद बख्श की असफलता के बाद अबुल फजल सिपाही भी बने थे। इसका मुख्य कारण यह भी था कि अबुल फजल अकबर के प्रिय मित्र भी थे।
अकबर पर लिखी किताब
अकबरनामा का शाब्दिक अर्थ है अकबर की कहानी। सीधे तौर पर यह अकबर के जीवन पर आधारित किताब है। इसको कई आइन- ए-अकबरी के नाम से जानते हैं। यह किताब अकबर के शासन काल का इतिहास है क्योंकि इस किताब में अकबर की निजी बातों को भी शामिल किया गया है। इस किताब में उल्लेख मिलता है कि अकबर अनपढ़ था।
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अबुल फजल की मृत्यु कब और किसने की?

इतिहास के अनुसार 1602 में राजकुमार सलीम के आदेश पर अबुल फजल की हत्या कर दी गई थी क्योंकि राजकुमार सलीम ने उन्हें सम्राट बनने के अपने रास्ते में एक बाधा मान लिया था।
कहा जाता है कि अकबर और अबुल फजल के बीच काफी अच्छे संबंध थे। उम्मीद है कि आपको अकबर से जुड़ी से जानकारी पसंद आई होगी। आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर और लाइक ज़रूर करें, साथ ही, ऐसी अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें UPRISING BIHAR के साथ।