
masjid al aqsa photo
आपने यकीनन अल-अक्सा- मस्जिद के बारे में सुना होगा। यह बहुत ही चर्चित मस्जिद है, जिसका मान हम आए दिन अखबार में देखते रहते हैं। पर आज आप इस लेख में मस्जिद का इतिहास जानेंगे।

देशभर में आपको कई इस्लामिक स्थल देखने को मिलेंगे क्योंकि यह मुसलमानों के लिए सिर्फ इबादत करने की जगह है, जहां नमाज पढ़ी जाती है। हालांकि, अब मस्जिद घूमने का भी स्पॉट बन गया है और वैसे भी फुर्सत से जामा मस्जिद की गलियों में घूमने का अपना अलग ही मजा है…यहां टहलते हुए शॉपिंग करने, खाने-पीने का लुत्फ उठाने और दोस्तों के साथ वक्त बिताना किसे पसंद नहीं है भला….।
आपने भी यकीनन कई इस्लामिक स्थलों को एक्सप्लोर किया होगा, लेकिन कुछ मस्जिद ऐसी भी रही हैं जिनको लेकर काफी विवाद रहा है। इसमें सबसे ऊपर नाम मस्जिद-अल-अक्सा का आता है। यह एक ऐसी मस्जिद है, जिसको लेकर इजरायल और फिलिस्तीनियों में हमेशा से विवाद चलता आ रहा है। पर ऐसा क्यों है? आखिर इसका इतिहास क्या है? अगर आपको नहीं, मालूम को आइए इस लेख में जानने की कोशिश करते हैं।
अल-अक्सा मस्जिद का इतिहास

अल-अक्सा मस्जिद को हमेशा से ही विवाद चलता रहा है। तो जाहिर है कि इस मस्जिद के निर्माण को लेकर भी कई तरह का विवाद होना लाजिमी है। इतिहासकारों का मानना है कि इस मस्जिद को लेकर ईसाई, यहूदी और इस्लाम धर्म में हमेशा से विवाद चलता रहा है। कहा जाता है कि 957 ईसा पूर्व में यहूदियों ने यरूशलेम में पहला यहूदी मंदिर बनाया था और उसके बाद 352 ईसा पूर्व में दूसरा यहूदी मंदिर बनावाया।
वहीं, 561 ईसवी में ईसाइयों ने यरूशलम में ही सेंट मेरी चर्च का निर्माण किया। वहीं, इतिहासकारों का मानना है कि मुसलमानों ने ‘मस्जिद अल-अक्सा‘ का निर्माण 702 ईसवी में करवाया था। इसे उस वक्त ‘डोम ऑफ द रॉक्स’ के नाम से जाना जाता था।
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ईसाई, मुस्लिम और यहूदियों के लिए पवित्र है स्थान
इस मस्जिद को लेकर यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्म में शुरुआत से ही विवाद रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह तीनों धर्मों के लिए समान रूप से महत्व रखती है। एक के लिए, धर्म की शुरुआत ही यहीं से हुई…तो दूसरे के लिए ईश्वर का धरती से जुड़े रहने का एक मात्र रास्ता यहीं है…और तीसरे के लिए सबसे पवित्र मानी जाने वाली जगहों में से एक है।
कहां स्थित है यह मस्जिद?

यह मस्जिद इजरायल की राजधानी यरूशलेम में स्थित है। यरूशलेम दुनिया के सबसे पुराने नगरों में से एक है और ये दुनिया में यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों धर्मों को मानने वाले लोगों के लिए एक बेहद पवित्र जगह है। यहां पर यहूदी लोगों की मौजूदगी अधिक है। ये करीब 61 फीसद हैं और इस्लाम को मानने वाले अरब करीब 38 फीसद हैं।
क्या है इससे जुड़ा विवाद?
कहा जाता है कि इस मस्जिद को लेकर विवाद नया नहीं है, बल्कि बहुत पुराना है। बता दें कि यरूशलेम के पुराने हिस्से में पहाड़ी के उपर स्थित आयताकार जगह में फैली इस मस्जिद को यहूदी ‘हर हवाइयत’ कहते हैं। इसी जगह को मुस्लिम ‘हरम अल शरीफ’ कहते हैं।
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वहीं, 957 ईसा पूर्व इजराइल के राजा सोलोमन ने यहां एक भव्य मंदिर बनवाया था, जिसे आगे चलकर बेबीलोनियन सभ्यता के लोगों द्वारा नष्ट कर दिया गया। तकरीबन पांच सदी बाद 352 ईसा पूर्व यहूदियों ने फिर इसी जगह पर एक और मंदिर बनवाया जिसे Second Temple कहा गया।
बस इसी को लेकर विवाद चलता रहता है और तीनों धर्म के लोग इस मस्जिद पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं।
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