
अगर बिहार में आपको घूमना है जलप्रपात, तो घूम आइए रोहतास की ये पहाड़ी
Rohtas Waterfall: यदि आप इकोटूरिज्म का अनुभव लेना चाहते हैं तो एक बार रोहतास जाएँ। यहां की प्राकृतिक सुंदरता मनमोहक है। यहां झरने और भक्ति की धारा एक साथ बहती है। केवल किताबें पढ़ने के बजाय, यदि आप इतिहास में रुचि रखते हैं और शेरशाह सूरी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो भी यहां आ सकते हैं। रोहतासगढ़ किला एक शांत वातावरण प्रदान करता है। यह कैमूर की सबसे सुदूर पहाड़ी पर स्थित है और पूरे जिले के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है। यहां पहुंचने वाले रास्ते पर आपको यह आभास होता है कि आप किसी जंगल की सफारी पर हैं। जिले में दो बांध हैं जो किसानों को खेती में सहायता और नदियों को शांति प्रदान रते हैं। इसके अलावा, आप यहां विशेष रूप से उपलब्ध अनोखे, गुड़ के लड्डुओं का आनंद लेते हुए नाव यात्रा भी कर सकते हैं।
विशेष आकर्षण हैं ये Rohtas Waterfall

कैमूर पर्वत श्रृंखला के लगभग 70 से अधिक झरने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कुछ झरनों तक वाहन द्वारा नहीं पहुंचा जा सकता। वे अब भी लोगों की पहुंच से बाहर हैं। हालाँकि, दूर से उनके नज़ारे देखना भी उतना ही सुखद है। कुछ झरने पिकनिक स्पॉट हैं जहाँ लोग वीकेंड पर जाते हैं। कशिश जलप्रपात, महादेव खोह, मांझर कुंड और धुआं कुंड पर अक्सर लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। पहले यहां केवल स्थानीय लोग ही आते थे। हालाँकि, कुछ वर्षों से अन्य जगहों के पर्यटक भी इन शानदार झरनों को देखने आने लगे हैं।
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तिलौथू का मां तुतला भवानी धाम

जिले के तिलौथू प्रखंड में मां तुतला भवानी धाम और है। यहां जलप्रपात और भक्ति धारा एक साथ बहती है। मां तुतला भवानी धाम जाने वाले श्रद्धालु झरने से गिरते तेज जल का भी आनंद लेते हैं। वन विभाग ने यहां हैंगिंग ब्रिज सहित आयुर्वेदिक उद्यान भी बनाया है। यह इस क्षेत्र को प्राकृतिक रूप से और जीवंत कर देता है।
यहां 100 फुट की ऊंचाई से गिरता है झरना

कहानियों में दर्ज भस्मासुर और उसका वरदान चेनारी प्रखंड के गुप्ता धाम में जीवंत है। मान्यता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं छिपे थे। उनके दर्शन के लिए सावन माह में दूर- दराज से कांवरिया पहुंचते हैं। यहां पहुंचे भक्त पहले 100 फुट से अधिक ऊपर से गिरते झरने में स्नान करते हैं। उसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। दुर्गावती जलाशय से होकर जाने वाले रास्ते को वन विभाग ने बनाया है। इससे गाड़ियों द्वारा धाम तक पहुंचा जा सकता है। वहीं एक रास्ता आलमपुर प्रखंड से होकर जाता है, जहां से लोग पैदल ही जाते हैं।
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ईको टूरिज्म को बढ़ावा दे रहा वन विभाग
राज्य सरकार हाल के दिनों में इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इसके लिए वन विभाग ने मांझर कुंड में एक आश्रय और चेंजिंग रूम भी बनाया है। कच्ची लेकिन अच्छी सड़क के निर्माण से पर्यटक यहां तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

रोहतास जिले को इको टूरिज्म हब बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। पर्यटन विभाग द्वारा शेरगढ़ किले के पास मनोरंजन हब मेगा प्रोजेक्ट पर कार्य करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा दुर्गावती जलाशय में नौका विहार करने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से नाव चलाने का निर्देश भी दिया है। जलप्रपातों के पास छह करोड़ की लागत से कैफेटेरिया सहित अन्य संसाधनों को विकसित करने का भी आश्वासन दिया गया है। जिले में घूमने के लिए दुर्गावती जलाशय, रोहतासगढ़ किले पर जाने के लिए बन रहे रोपवे, मांझर कुंड, धुंआ कुंड, सीता कुंड और मां तुतला भवानी धाम जैसी कई जगहें हैं। यहां आप एक अच्छा वीकेंड बिता सकते हैं।
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कैसे पहुंचें रोहतास
- हवाई मार्ग: रोहतास से पटना हवाई अड्डा 157 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं गया और वाराणसी 98 किलोमीटर और 120 किलोमीटर की दूरी पर हैं। आप इन तीनों में से किसी भी हवाई अड्डे से टैक्सी, बस या ट्रेन द्वारा रोहतास पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: सासाराम, डेहरी-ऑन-सोन, बिक्रमगंज जिले के तीन महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन हैं। पर्यटक स्थलों पर पहुंचने के लिए आप इन तीनों रेलवे स्टेशन का प्रयोग कर सकते हैं। यहां से कई रूटों पर ट्रेनों का परिचालन होता है।
- सड़क मार्ग: रोहतास का सासाराम शहर पटना, आरा, बक्सर, गया, दिल्ली, कोलकाता, बोकारो, रांची, जमशेदपुर जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। यहां से नैशनल हाइवे संख्या 2 गुजरती है।
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