
जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है। उपखंड अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए सीडीपीओ कार्यालय की महिला पर्यवेक्षक सहित स्वास्थ्य विभाग की कार्यकर्ता बहुत अच्छे ढंग से कार्य कर सकती है। कम उम्र की कन्याओं का विवाह होने या करवाने से बालिकाओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है।

बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इसकी रोकथाम के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, तभी समाज इस बीमारी से मुक्त हो सकेगा। यह बात उपखंड अधिकारी रिछपाल सिंह बुरड़क ने राजस्थान सरकार के निर्देशों के तहत बाल विवाह व अन्य कुरीतियों को रोकने के लिए ग्राम पंचायत जाखेड़ा, चांदारूण व गुणसली में आयोजित सभा में संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए सभी विभागों के साथ-साथ आमजन को सजगता से अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। इसके लिए वार्ड स्तर पर टीमें गठित करनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया। इसमें बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है।
जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है। उपखंड अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए सीडीपीओ कार्यालय की महिला पर्यवेक्षक सहित स्वास्थ्य विभाग की कार्यकर्ता बहुत अच्छे ढंग से कार्य कर सकती है। कम उम्र की कन्याओं का विवाह होने या करवाने से बालिकाओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है।

1. शिक्षा: शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है। एक शिक्षित लड़की को समाज में स्थान मिलता है और उसे स्वयं के भविष्य के बारे में सोचने की क्षमता प्राप्त होती है।
2. संस्कार: संस्कार भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। लड़की को संस्कारित बनाना चाहिए ताकि वह अपने भविष्य के लिए सही निर्णय ले सके।
3. समाज की जागरूकता: समाज को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक होना चाहिए। समाज को समझाना चाहिए कि बाल विवाह के क्या नुकसान होते हैं।
4. संबंधों का सम्मान: संबंधों को बच्चों की शादी में अहमियत देनी चाहिए। संबंधों को समझाना चाहिए कि बच्चों की शादी से पहले उन्हें सम्पूर्ण तरह से तैयार होने का समय देना चाहिए।
5. सरकारी नीति: सरकार को बाल विवाह के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार को बच्चों की शिक्षा और संस्कार पर ध्यान देना चाहिए।
इसके लिए वार्ड स्तर पर टीमें गठित करनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया। इसमें बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है। जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है।
इन सभी तरीकों से हम बाल विवाह को रोक सकते हैं। हमें सभी मिलकर इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए।