
जन्माष्टमी विशेष: कहानी बाल कृष्ण के जन्म की
Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार बुधवार, 6 सितंबर 2023 को उनका जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आठवें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे। जब उनका जन्म हुआ तब रात्रि के सात मुहूर्त निकल गए और आठवां उपस्थित हुआ। तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न में उन्होंने जन्म लिया। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। ज्योतिषियों के अनुसार उस समय रात 12 बजे शून्य काल था।
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माँ के लिए लेना पड़ा कृष्ण अवतार

भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के जन्म की कहानी कौन नहीं जानता? उनके जन्म की कथा और विभिन्न लीलाओं को कला के कई माध्यमों से जन-जन तक पहुंचाया जाता रहा है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि श्रीकृष्ण अवतार लेने के पीछे मां की ममता का भी योगदान रहा है। जी हाँ, माँ की ममता चीज ही ऐसी है जिसे भगवान भी पाने को तरसते हैं। इसी कारण भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार भी लिया। आइये आपको बताते हैं श्रीकृष्ण अवतार के पीछे किस माँ की ममता का योगदान रहा और क्या है इससे जुड़ी कथा।
कैकेयी के गर्भ से जन्म लेने का दिया वचन
दरअसल रामायण में राजा दशरथ ने कैकेयी को वचन दिया था कि वो जब चाहे दो वरदान मांग सकती है। जब राम के राज्याभिषेक का समय आया तो कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को वनवास भेजने का वरदान मांग लिया। अपने वचन से बंधे दशरथ राम को नहीं रोक पाए। पिता का वचन खाली ना जाए इसके लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम वनवास चले गए।

वनवास के दौरान रावण का वध करने के बाद जब राम वापस अयोध्या लौटे तो कैकयी पश्चाताप के आंसु रो रही थी। सर्वविदित है कि राम को सबसे ज्यादा स्नेह कैकेयी ही देती थी। लेकिन राम को वनवास भेज कर वह बहुत दुखी रहने लगी थी। वनवास से लौटे राम को देख कैकेयी इतनी रोई की राम भी दुखी हो उठे। फिर कैकेयी ने राम से कहा कि हे पुत्र अगले जन्म में तुम मेरे गर्भ से जन्म लेना। राम ने उनकी बात मानकर वचन दिया कि अगला जन्म मैं आपके ही गर्भ से लूंगा। इधर कौशल्या माता भी दुखी हो गयी। फिर राम ने कौशल्या को भी वचन दिया कि भले ही मैं माँ कैकेयी के गर्भ से जन्म लूं लेकिन कहलाऊंगा तो आपका पुत्र ही।
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जन्म देने वाली से बड़ी पालने वाली मां

द्वापर युग में कैकेयी देवकी बनी और कौशल्या बनी यशोदा। कंस की कालकोठी में देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया। उनके पिता वासुदेव ने बाल कृष्ण को कंस से बचाने के लिए आधी रात में यमुना पार करके अपने मित्र नन्द के यहां पहुंचा दिया। यहां नन्द की पत्नी यशोदा ने श्रीकृष्ण को स्वीकार किया और अपने पुत्र जैसा स्नेह देकर पाला-पोसा। देवकी रूपी कैकेयी ने भले ही श्रीकृष्ण को जन्म दिया लेकिन उन्हें आज भी यशोदा-नंदन ही कहा जाता है। श्रीकृष्ण ने अपनी लीला से दुनिया को बता दिया कि जन्म देने वाली से बड़ी पालने वाली मां होती। और साथ ही अपनी दोनों माओं को दिया वचन भी निभा दिया।
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