सावन में जरुर करें छपरा,सारण के इस प्रसिद्ध मंदिर का दर्शन : 1000 साल पुराना बाबा धर्मनाथ मंदिर ,दूरदराज से पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं भक्त
छपरा, सारण में स्थित बाबा धर्मनाथ मंदिर एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर का निर्माण 1000 साल पहले हुआ था और यह एक ऐतिहासिक धरोहर है. मंदिर में एक विशाल शिवलिंग है, जो बहुत ही प्राचीन है. शिवलिंग के चारों ओर एक कुंड है, जिसमें भक्त स्नान करते हैं. मंदिर परिसर में एक विशाल प्रांगण है, जिसमें भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिर के परिसर में एक धर्मशाला भी है, जहां भक्त आराम कर सकते हैं.

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बाबा धरमनाथ मंदिर छपरा के सरन जिले के रतनपुरा मोहल्ले में स्थित है. मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग है. मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है. मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है.
जब 13 से अधिक महत्माओं ने ले ली थी बाबा धर्मनाथ मंदिर में जिंदा समाधि …………..
प्रमुख पुजारी कृष्ण मुरारी तिवारी ने बताया कि बाबा धर्मनाथ मंदिर में जिंदा समाधि लेने का प्रथम दौर यहाँ से ही शुरू हुआ था, लेकिन यहीं नहीं रुका। धर्मनाथ धनी के बाद, सारंग्य नाथ भी इसी स्थान पर आकर जिंदा समाधि लेने का कार्य किया।
उन्होंने बताया कि कुल 13 महात्माएं यहाँ आकर जिंदा समाधि लेने का आदरणीय कार्य किया था। इस प्रकार, इन आध्यात्मिक व्यक्तियों के इस कार्य से ही यह मंदिर धार्मिकता के प्रति लोगों की अगाध आस्था का प्रतीक बन गया है। इन महात्माओं के पिंड आज भी इस मंदिर में स्थित हैं, जिससे इस स्थल का महत्व और भी बढ़ गया है।

मुख्य पुजारी कृष्ण मुरारी तिवारी ने बताया कि इस मंदिर में न सिर्फ जिंदा समाधियाँ, बल्कि शंकर भगवान का विशेष लिंग भी विराजमान है, जो इसी स्थान से प्राप्त किया गया था। धर्मनाथ धनी के मंदिर में सावन के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। श्रद्धालुओं के अनुसार, जो व्यक्ति विश्वासपूर्वक मन्नत मानते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। इस रूप में, मंदिर ने श्रद्धालुओं के जीवन में नई उत्साह और शक्ति का स्रोत साबित होता है।
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जानिए छपरा के सारण जिले के प्रसिद्ध धर्मनाथ मंदिर का इतिहास …….1000 वर्ष पुराना है मंदिर
मंदिर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में धर्मनाथ मंदिर की स्थापना हुई जगह पहले एक जंगल के समान थी। इस स्थान के दक्षिण में घाघरा (सरयू) नदी बहती थी, जो आज भी मंदिर के दक्षिण दिशा से बहती है। विशेषज्ञों के अनुसार, उस जंगल के बीच में 1016 में अचानक एक शिवलिंग प्रकट हुआ था।
संत धर्मनाथ ने यहां पूजा की शुरुआत की, जबकि संत बाबा धर्मनाथ उस समय इस स्थान पर विचारण में थे। शिवलिंग की पूजा के बाद, उन्होंने इसके स्थान की सफाई की और भगवान भोले शंकर की पूजा शुरू की।

धर्मनाथ बाबा भी उसी स्थान पर तपस्या करने लगे। समय के साथ, मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ती गई और लोगों के बीच में यह विश्वास फैलता गया कि यहां की मन्नतें पूरी होती हैं। ऐसा मानने लगा कि दूरदराज से आने वाले लोग भी यहां आकर पूजा-अर्चना करने लगे। धर्मनाथ बाबा ने लगभग तीन सौ वर्षों तक इसी स्थान पर तपस्या की, जिससे मंदिर की महत्वपूर्णता और आध्यात्मिकता ने और भी ऊँचाइयों तक पहुँची।
बाबा धरमनाथ मंदिर एक पवित्र स्थल है और यहां आकर भक्तों को शांति और सुकून मिलता है. मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है, लेकिन मंदिर में भक्तों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होती है. मंदिर परिसर में साफ-सफाई और व्यवस्था बहुत अच्छी है.
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यदि आप सारण जिले में हैं, तो आपको बाबा धरमनाथ मंदिर का दर्शन अवश्य करना चाहिए. यह मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर है और यहां आकर आप शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं.
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