ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर, बक्सर
ब्रह्मपुर, बिहार के बक्सर जिले में स्थित एक शहर और बहुत प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक जगह है। यह मुख्य रूप से भगवान शिव के मंदिर की पौराणिक कथा और उसके पशु मेले के लिए प्रसिद्ध है। देश भर से लोग भगवान शिव के मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के लिए यहां आते हैं.

ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार, इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ब्रह्मा जी ने किया था। इस मंदिर के बारे में जानकारी अनेकों पुराणों में भी मिलता है। शिव महापुराण की रुद्र संहिता में यह शिवलिंग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। यही कारण है कि इसे मनोकामना महादेव भी कहा जाता है।
ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत
इस मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है जबकि देश के अन्य शिव मंदिरों का दरवाजा पूर्व दिशा में है।वैसे तो हमारे देश में एक से एक चमत्कारी मंदिर है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसका चमत्कार देख कर को मोहम्मद गजनी उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा था।
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मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी
ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है जबकि देश के अन्य शिव मंदिरों का दरवाजा पूर्व दिशा में है। पश्चिम मुखी दरवाजा होने के बारे में बताया जाता है कि एक बार मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी मंदिर तोड़ने के लिए ब्रह्मपुर आया। तब स्थानीय लोगों में मंदिर नहीं तोड़ने की गुजारिश की और कहा कि अगर मंदिर तोड़ेगो तो बाबा तुम्हारा विनाश कर देंगे।
उल्टे पांव लौटा था मोहम्मद गजनी
लोगों के अनुरोध पर गजनी ने बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ को चैलेंज किया और कहा कि अगर रात भर मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर हो जाएगा तो वह मंदिर को छोड़ देगा। अगले दिन जब वह मंदिर तोड़ने के लिए आया तो वह देखकर दंग हो गया। उसने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है। इसके बाद वह वहां से हमेशा के लिए चला गया।
ब्रह्मेश्वर नाथ को मनोकामना महादेव कहा जाता है
ब्रह्मेश्वर नाथ के दरबार में जो भी आता है, उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। इन्हें मनोकामना महादेव भी कहा जाता है। बताया जाता है कि यहां जलाभिषेक का महत्व सालों भर है लेकिन सावन में कांवड़ियों का जलाभिषेक का विशेष महत्व है। यही कारण है कि सावन महीने में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का दर्शन करने लाखों की संख्या में लोग आते हैं।

महादेव पर क्या चढ़ाया जाता है
फूल ,बेलपत्र ,फल ,प्रसाद ,जलाभिषेक करते है और धूप दीप दिखते है.
महत्व और श्रावण में भक्तों का भीड़
इस मंदिर में शिव लिंग स्वयंभू है और इसे स्वयंभू शिव लिंग के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा की सांध्य बेला में ‘बाबा’ का भव्य श्रृंगार, महाआरती और महा प्रसाद कार्यक्रम में हजारों लोग जुटेंगे। शिव भक्तों के आवागमन को ले प्रशासन, ट्रस्ट, समाज एवं लोकल श्रद्धालु हरसंभव सुविधा देने रहते हैं।
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में कैसे पहुंच सकते हैं
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ जी का मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में एक है। मंदिर तक आवागमन के लिए रेल मार्ग एवं सड़क मार्ग सुलभ है। मंदिर के पीछे एक तालाब है जहां स्नान कर श्रद्धालु महादेव को जलाभिषेक करते हैं। विश्राम के लिए धर्मशाला की भी व्यवस्था हे।
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