जानिए कैसे नेताजी ने तय की कांग्रेस के महान नेता से लेकर आजादी के दिग्गज योद्धा तक का सफ़र
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. लेकिन उनकी मृत्यु के बावजूद भी वे भारतीय इतिहास में एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते हैं l
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जानिए कैसे नेताजी ने तय की कांग्रेस के महान नेता से लेकर आजादी के दिग्गज योद्धा तक का सफ़र
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कलकत्ता में हुआ था. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की. पढ़ाई के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. वे जल्द ही कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बन गए.

1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. उन्होंने कांग्रेस को एक अधिक उग्र और प्रगतिशील संगठन बनाने का प्रयास किया. उन्होंने अंग्रेजों के साथ बातचीत के बजाय सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारत को आजादी दिलाने का नारा दिया.
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1940 , नेताजी भारत से भागकर जर्मनी चले गए……….
1940 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत से भागकर जर्मनी चले गए. उन्होंने जर्मनी से भारत में आजाद हिंद फौज का गठन किया. आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाई लड़ी. लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बाद आजाद हिंद फौज हार गई.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बावजूद भी वे भारतीय इतिहास में एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते हैं. उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था. उनके साहस, वीरता और देशभक्ति के लिए उन्हें आज भी भारत के लोग सम्मान करते हैं.
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जब नेता जी ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”: उनकी स्मृतियों में कुछ क्षण
जब नेता जी ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा,” तो यह एक ऐसा आह्वान था जो भारतीयों के दिलों में गूंज गया. यह एक याद दिलाने वाला था कि स्वतंत्रता एक लड़ाई है, और इसे प्राप्त करने के लिए बलिदान की आवश्यकता होगी. नेता जी ने अपने भाषण में भारतीयों से अपने खून और पसीने का त्याग करने का आग्रह किया, और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि वे इस लड़ाई में विजयी होंगे.

नेता जी के शब्दों ने भारतीयों में एक नई शक्ति और प्रेरणा पैदा की. उन्होंने स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए एकजुट होकर खड़े होने का आह्वान किया. नेता जी के नेतृत्व में, भारतीयों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी. आखिरकार, 15 अगस्त, 1947 को, भारत को स्वतंत्रता मिल गई.
आज भी नेता जी की मौत: एक रहस्य जो आज भी अनसुलझा है
बोस की 1945 में सोवियत रूस में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उनका शव कभी नहीं मिला, जिससे उनकी मृत्यु के कारण के बारे में अटकलें लगाई जाने लगीं।
कुछ का मानना है कि उन्हें सोवियत द्वारा जहर दिया गया था, जबकि अन्य का मानना है कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई थी। बोस की मृत्यु के बारे में सच्चाई कभी भी ज्ञात नहीं हो सकती है, लेकिन एक शानदार भौतिक विज्ञानी और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी विरासत जीवित रहेगी।
बोस को भारत में राष्ट्रीय नायक माना जाता है और उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है
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