मंगल पांडे जयंती पोस्टर HD
आज 19 जुलाई को हम ब्रिटिश जुल्म के खिलाफ लड़ने वाले बहादुर भारतीय सैनिक मंगल पांडे के जन्मदिन को याद करते हैं।

पांडे का जन्म 1827 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वह 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री में एक सिपाही के रूप में सेवा की।
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अफवाह और संवेदनशीलता: कारतूसों की चर्बी के बारे में मंगल पांडे का आरोप
1857 में, पांडे कोलकाता के पास बैरकपुर में तैनात थे। उन्हें अंग्रेजों पर संदेह होने लगा, जिनके बारे में अफवाह थी कि वे अपनी नई एनफील्ड राइफलों के कारतूसों को जानवरों की चर्बी से चिकना करने की योजना बना रहे थे। यह कई भारतीय सैनिकों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा था, जो मानते थे कि कारतूसों के सिरे काटने से वे अपवित्र हो जायेंगे।

29 मार्च, 1857 को पांडे ने दो अंग्रेज अधिकारियों पर अपनी तलवार से हमला कर दिया। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और ब्रिटिश कोर्ट मार्शल द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें विद्रोह का दोषी पाया गया और मौत की सजा सुनाई गई।
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विद्रोह का नेतृत्व करते हुए शहीद: मंगल पांडे की मौत फ़ैसला
पांडे को 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गई। उनकी मृत्यु ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक विद्रोह को जन्म दिया, जिसे भारतीय विद्रोह या प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है।
पांडे को ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। वह भारत में एक राष्ट्रीय नायक हैं और उनके जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश होता है।

अपने अंतिम शब्दों में पांडे ने कहा, “मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने अपना कर्तव्य निभाया है।” ये शब्द उनके साहस और भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाते हैं।
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मंगल पांडे: भारतीय आजादी के लिए लड़ने वाले बहादुर सेनानी
हम आज मंगल पांडे को आदर और प्रशंसा के साथ याद करते हैं। वह एक बहादुर सैनिक थे जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान दे दी। उनकी विरासत हर जगह भारतीयों को प्रेरित करती रहती है।
मंगल पांडे को उनके जन्मदिन पर याद करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
बैरकपुर में मंगल पांडे स्मारक पर जाएँ।
उनके जीवन और विरासत के बारे में पढ़ें।
फिल्म “मंगल पांडे: द राइजिंग” देखें।
मंगल पांडे के बारे में अपने विचार और यादें सोशल मीडिया पर साझा करें।
आइए हम सब मंगल पांडे को उनके जन्मदिन पर याद करें और उनके साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि दें। वह भारत के सच्चे नायक हैं।
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