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भादो मास क्या है?
भादो मास भारतीय हिन्दू पंचांग में आने वाले महीनों में से एक होता है और इस मास को भाद्रपद मास के नाम से भी जाना जाता है। यह मास वर्ष के असाधारण महत्वपूर्ण महीनों में से एक होता है जो हिन्दू धर्म में विशेष आदर्श और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

भादो मास कब आता है?
भादो महीना भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन और अश्विन मास के बीच आता है और ग्रीष्म ऋतु के समापन का सूचक होता है। यह मानसून का समय होता है, जब वर्षा के पानी बूँद-बूँद गिरते हैं और प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। इस महीने का आगमन खेती-कृषि के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह समय पौधों के उद्भव और विकास के लिए उपयुक्त होता है। भादो महीने में भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी भी मनाई जाती है, जो हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
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भादो मास में कौन-कौन सी त्योहार और महत्वपूर्ण घटनाएं आती हैं?
इस महीने में कई त्योहार और महत्वपूर्ण घटनाएं होती हैं जैसे कि रक्षा बंधन, जिसमें भाई-बहन के प्यार का प्रतीक दिखता है। साथ ही बता दें कि राखी में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देते हैं। इसके अलावा, भादो में नाग पंचमी और कृष्ण जन्माष्टमी जैसे धार्मिक त्योहार भी मनाए जाते हैं।

भादो महीने की शुरुआत गणेश चतुर्थी के साथ होती है, जिसमें भगवान गणेश की पूजा विशेष आती है। यह महीना आदित्य चरित्र सूर्य का आरम्भ होता है जिससे दिन का समय कम होता जाता है और रात्रि का समय बढ़ता जाता है। इस प्रकार, भादो महीना भारतीय जीवन में एक महत्वपूर्ण समय होता है जो आपसी समर्पण, परंपरा और आनंद की भावना को जीवित रखता हैं।
भादो महीने में शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाना चाहिए?
बता दें कि भादो मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अमूल्य महत्व है, जिसमें धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं का संगम होता है। शिवलिंग भगवान शिव की प्रतीक होती है और हिन्दू धर्म में शक्ति, निरंतरता और जीवन के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
भादो मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष मतलब है क्योंकि इस मास में विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति होती है, जो हमें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूती प्रदान करती है। भगवान शिव को मानव जीवन के सारे पहलुओं का स्वामी माना जाता है और उनकी पूजा से हम उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

जल चढ़ाने का यह अभिषेक विशेष तौर पर भादो मास में किया जाता है क्योंकि इस मास में मौसम का परिवर्तन होता है और प्राकृतिक जल संसाधनों में वृद्धि होती है। जल हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भगवान शिव के अभिषेक से हम जीवन को पुनः उत्थान देने की प्रार्थना करते हैं। यह जल भगवान के प्रतीक शिवलिंग पर चढ़ते ही हमें नये आदर्शों, संकल्पों और उत्साह की प्रेरणा मिलती है।

भादो मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का यह क्रियाकलाप भक्ति, आदर्श, साधना और आत्मा के संगीत की एकता का प्रतीक होता है। यह जल हमें जीवन के परिवर्तनों को स्वीकार करने और उनका स्वागत करने की प्रेरणा देता है ताकि हम अपने जीवन को नये दिशाओं में आगे बढ़ा सकें।

भादो महीने में आप जल के अलावा शिवलिंग पर और क्या चढ़ा सकते हैं?
हालांकि, जल के अलावा भादो महीने में शिवलिंग पर बेल पत्र, केवड़ा, धातु कलश, जल, जलित धूप और दीपक चढ़ाना चाहिए। बेल पत्र की पूजा से भगवान शिव का प्रीति प्राप्त होता है और केवड़ा से उनकी पूजा का महत्व बढ़ता है। धातु कलश में जल रखकर शिवलिंग की अभिषेक करना शुभ होता है और जल, धूप, दीपक से आत्मा की शुद्धि होती है। इस प्रकार, भादो महीने में शिवलिंग पूजन से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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