Nalanda International University : सीएम नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता संभालने के बाद पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिलकर नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया था. वह नालंदा विश्वविद्यालय एक बेहद आकर्षक, भव्य स्वरूप ले चुका है. इस विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी एक अहम योगदान रहा है.
नालंदा. जब वर्षों पहले शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) को जलाकर खाक कर दिया था, तब लोगों ने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था कि यह अपने खोये अस्तित्व को वापस ला पाएगा. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी सोच से यह सपना सच साकार हो गया. सीएम नीतीश कुमार ने जब बिहार की सत्ता को संभाला तब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिलकर नालंदा विश्वविद्यालय को जीवित करने का प्रयास किया. इसका परिणाम यह हुआ कि आज यह विश्वविद्यालय अपने नए अस्तित्व में आ गया है.
मालूम हो कि नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अहम योगदान दिया है. बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय बेहद ही सुंदर और भव्य तरीके से बनाया गया है. नालंदा विश्वविद्यालय के मेन गेट से अंदर आते ही कैंपस के खूबसूरत नजारे से आपकी मुलाकात होगी. सड़क के दोनों ओर आती खुशबू और सामने पहाड़ियों का नजारा आपका मन मोह लेगा.
शानदार कैंपस मन मोह लेगी
साल 2007 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में इस विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के फैसले को समर्थन मिला था. नालंदा विश्वविद्यालय नए शैक्षणिक कार्यक्रम और पाठ्यक्रम स्कूल और केंद्र, अल्पकालिक कार्यक्रम छात्रों की छात्रवृत्ति स्वास्थ्य केंद्र, बुनियादी ढांचा, विकास नीतिगत पहल, आंतरिक और बाहरी लेखा परीक्षा प्रणाली, दो सौ से अधिक संरचनाओं के साथ एक पूर्ण स्थाई परिसर के साथ नालंदा विश्वविद्यालय लगातार प्रगति की ग्राफ पर बढ़ता जा रहा है. यह विश्वविद्यालय एक बार फिर से विश्व स्तर पर अपनी दावेदारी पेश कर सकता है.
नालंदा विश्वविद्यालय की खासियत
बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था. यहां उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे. मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुंदर मूर्तियां स्थापित थीं. यहां से विशिष्ट शिक्षा प्राप्त स्नातक बाहर जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे. पुरातन काल में नालंदा विश्वविद्यालय विश्व विख्यात हो चुका था, तब यहां महायान के प्रवर्तक नागार्जुन, वसुबन्धु, असंग और धर्मकीर्ति की रचनाओं पर विचार-मंथन होता था. वेद, वेदांत और सांख्य पढ़ाए जाते थे. व्याकरण, दर्शन, शल्य, ज्योतिष, योग और चिकित्सा भी पाठ्यक्रम का हिस्सा थे.