
पातालेश्वर-मंदिर-हाजीपुर-का-दृश्य
पातालेश्वर मंदिर भारत के बिहार के हाजीपुर शहर में एक हिंदू मंदिर है। यह जधुआ रोड, हाजीपुर में स्थित है । यह हिंदू तीर्थस्थल सबसे पुराना और प्राचीन शिव तीर्थ है। यह भगवान शिव को समर्पित है और प्रत्येक सोमवार को, भक्त आशीर्वाद पाने के लिए आस-पास के स्थानों से आते हैं।

पातालेश्वर मंदिर का इतिहास
यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और माना जाता है कि यह 1,000 साल से अधिक पुराना है. मंदिर में जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ एक अनूठी स्थापत्य शैली है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के विभिन्न दृश्यों को दर्शाती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में पाल वंश के शासन काल में हुआ था। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में शिव लिंग है, जो भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है। मंदिर में भगवान विष्णु, भगवान गणेश और देवी दुर्गा सहित विभिन्न देवताओं को समर्पित कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं। मंदिर अपने वार्षिक महा शिवरात्रि उत्सव के लिए प्रसिद्ध है जब हजारों भक्त अपनी प्रार्थना करने और भगवान शिव से आशीर्वाद लेने आते हैं। त्योहार के दौरान, मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है और विशेष प्रार्थना और अनुष्ठान किए जाते हैं। अपने धार्मिक महत्व के अलावा, पातालेश्वर मंदिर इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक भी है। मंदिर का उल्लेख पुराणों सहित कई प्राचीन ग्रंथों में किया गया है और इसे क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। पातालेश्वर मंदिर का इतिहास दिलचस्प है। सोलंकी युग के राजा सिद्धराज सोलंकी का जन्म इस स्थान पर हुआ। उत्सव में महारानी मिनलदेवी ने आदेश दिया की प्यासे यात्रियों के लिए कुआं खोदा जाए। कुआं खोदते समय शिवलिंग की उत्पत्ति हुई और तभी बाद में पातालेश्वर मंदिर का निर्माण कुएं के आकार में किया गया।इसका उपनाम पाताल-ईश्वर है, जिसका अर्थ “जमीन के निचे के भगवान” से है,

पातालेश्वर मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण आठवी शताब्दी में जमीन से 40 फीट निचे किया गया था, जबकि नयी संरचना का निर्माण जमीन के उपर किया गया। मंदिर के निर्माण के लिए मूल पत्थरो का उपयोग किया गया और दीवारों पर लिखे गये शिलालेखो में साँप के प्रतीक बने हुए है।
पातालेश्वर मंदिर में मनाये जाने वाले त्योहार
मंदिर के मुख्य देवता भगवान शिव है। बड़ी धूम-धाम और उत्साह के साथ यहाँ महाशिवरात्रि मनायी जाती है। यह एक हिन्दू उत्सव है जो हर साल भगवान शिव की याद में मनाया जाता है। इसे पद्मराजरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
इस उत्सव के विविध नामो में महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, शिवारात्रि और शिवरात्री शामिल है। शिवरात्रि का अर्थ भगवान शिव की महान रात से है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल माघ या फाल्गुन के माह की 13 वी रात और 14 वे दिन को यह उत्सव मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन अपने आराध्य देवता का दर्शन करने यहाँ बड़े संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
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पातालेश्वर मंदिर में श्रावणी मेला
सावन में मंदिर प्रांगण में हर सोमवार को सोमवारी मेला लगता है! शहर के कई जगहों में बच्चे अपने घर के आगे आकर्षक सोमवारी सजाते है! सावन की पहली सोमवारी को नगर के बाबा पतालेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक व पूजा अर्चना के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरु हो गई थी। श्रद्धालुओं में महिलाओं और कुंवारी कन्याओं की संख्या सर्वाधिक थी। सावन माह शुरू होने के पहले दिन मंदिर की विशेष साफ-सफाई और पूजा पाठ का आयोजन किया। संध्या समय मंदिर परिसर को सजाया गया। शृंगार पूजन का आयोजन किया। शिवरात्रि पे यहाँ एक झांकी निकाली जाती है जो पतालेश्वर मंदिर से सुरु होती है!
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