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सरसई पोखर ,भव्य शिव मंदिर का मनोरम आकर्षण

सरसई पोखर का इतिहास :- प्रजातंत्र की जननी, भगवान महावीर की जन्मभूमि, विश्व विख्यात नर्तकी आम्रपाली की रंगभूमि, भगवान बुद्ध के कर्मभूमि एवं राजा विशाल की नगरी वैशाली के सैकड़ों ऐतिहासिक स्थलों में प्रमुख सरसई सरोवर सरकारी उदासीनता एवं उपेक्षा का शिकार हो गई है। यह ऐतिहासिक पोखर अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है।

सरसई पोखर का निर्माण :- प्राकृतिक सौंदर्य की अनमोल धरोहर यह पोखर आज भी दर्शनीय व अद्वितीय है।हाजीपुर जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित इस पोखर को वर्ष 1402-1405 के बीच जनहित में तिरहुत के राजा शिव सिंह ने 52 बीघा भू-भाग पर खुदवाया था।

ऐतिहासिक धरोहर सरकार की उदासीनता के कारण अपनी पहचान खोने की स्थिति में :-

सरकारी उदासीनता के कारण यह ऐतिहासिक पोखर अपनी पहचान खोने की स्थिति में है। जो समाज के लिए चिंता की विषय है। इस ऐतिहासिक पोखर में पहले कमल के अनगिनत फूल खिलते थे। लेकिन मछुआरों द्वारा जीरा तथा केमिकल डालने के कारण अब यह समाप्त हो गया है। महाराजा शिव सिंह द्वारा 14 वीं सदी में खुदवाए गए इस पोखर में खिलने वाले फूलों के नाम पर ही इसका नाम सरसई पोखर हुआ था| आज यह पोखर सरकारी उदासीनता का शिकार हो गया है।

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सालों भर पानी भरा रहता था इस पोखर में :

ऐतिहासिक पोखर अत्यधिक लाल, सफेद एवं नीले रंग के कमल पुष्प, पुरैन पत्ता भोजपत्र एवं सैकड़ों प्रजाति की रंग-बिरंगी मछलियां इत्यादि के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था। पोखर में सालों भर पानी भरा रहता था लेकिन हाल के वर्षों में प्रशासनिक उदासीनता ने इस पोखर की सूरत बिगाड़ दी। पोखर के चारों तरफ दुर्लभ वृक्षों, मंदिरों तुलसी एवं असंख्य वन औषधियां है।

देशी-विदेशी सैलानी आते थे इस सरोवर को देखने :

सरसई पोखर व इसके आसपास के स्थलों को दूर करने के लिए फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका, रूस एवं इंग्लैंड आदि के पर्यटक आते हैं। सरसई पोखर के आसपास सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ों पर रहने वाले हजारों चमगादड़ देशी-विदेशी सैलानियों को खासा आकर्षित करते हैं। यहां के लोग चमगादड़ को शुभ व समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। पोखर के आसपास भव्य शिव मंदिर, प्राचीन सूर्य मंदिर, हनुमान मंदिर, गैबू नाथ मंदिर, मस्जिद, कब्रगाह, करबला, ब्रह्मस्थान एवं सोखा स्थान है। लेकिन सरकारी उपेक्षा एवं उदासीनता के कारण यहां की संपदा अब धीरे-धीरे नष्ट होने के कगार पर है

अब नवनर्मित भव्य शिव जी की प्रतिमा बनने से शायद यह पर्यटन स्थल घोषित हो जाए :-

पोखर के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की मांग लंबे समय से स्थानीय लोग कर रहे हैं। बीते दिन बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने डीएम को ज्ञापन सौंप इस ऐतिहासिक पोखर तथा आसपास के ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की मांग की है।

सरसई पोखर के समीप नवनिर्मित 164 फीट ऊंचा बाबा भोले की प्रतिमा स्थापित की गई है जो इस पोखर की प्राकृतिक सुंदरता को और निखरेगा:-

महाशिवरात्रि मेला का शानदार आयोजन:सरसई पर्यटक स्थल के रूप में होगा विकसित : विजय

शिवरात्रि के मौके पर सरसई फतेहपुर फुलवरिया के सरसई पोखर पर महाशिवरात्रि मेला का शानदार आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा जी ने महाशिवरात्रि मेला का उद्घाटन किया। आध्यात्मिक चेतना संस्था के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का शानदार आयोजन किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में बॉलीवुड फिल्म के सिंगर रोशन सिंह ने \”मेरे महादेव\” गाना गाकर सभी भक्तजनों को झूमने पर मजबूर किया। रोशन सिंह द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी गई। सिंगर रोशन सिंह के भक्ति संगीत से महाशिवरात्रि में आए सभी भक्तजन भक्ति संगीत से सराबोर हो गए ।विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा द्वारा बॉलीवुड सिंगर रोशन सिंह को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।वहीं उन्होंने सरसई सरोवर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने की बात कही।

महाशिवरात्रि मेला में भीड़ हुई बेकाबू ,प्रशासनिक तैयारी कमजोर :- अध्यात्म चेतना समिति के नीरज शर्मा सहित सभी सदस्य एवं जनप्रतिनिधि गण मेला में आए भक्तजनों का स्वागत करते देखे गए । सरसई पोखर पर 164 फीट ऊँचा बने बाबा भोलेनाथ की स्थापित मूर्ति को शिवरात्रि के अवसर पर हजारों की भीड़ ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन किया। हजारों की भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्रशासनिक तैयारी कमजोर देखी गई। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस बल भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थे। बहुत बच्चे भीड़ में खो गए थे लेकिन आयोजक द्वारा उसे मिलवाने का प्रयास किया गया।

सरसई पोखर ,भव्य शिव मंदिर का मनोरम आकर्षण

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