
हिंदू धर्म में तिलक लगाने को विशेष माना जाता है। तिलक न सिर्फ माथे पर बल्कि गर्दन और नाभि पर भी लगाया जाता है। तिलक लगाना एक ऐसा अनुष्ठान माना जाता है। गले पर तिलक लगाना हिंदू संस्कृति में, विशेषकर ज्योतिष और अध्यात्म में बहुत महत्व रखता है।

वैदिक परंपराओं के अनुसार, तिलक माथे और गर्दन सहित शरीर के अन्य हिस्सों पर भी लगाने से कई लाभ हो सकते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से पर तिलक लगाना शुभ माना जाता है और इसके अलग-अलग लाभ होते हैं।
गर्दन पर तिलक लगाने से पूरे शरीर को ऊर्जा मिलती है और अन्य कई लाभ हो सकते हैं। ज्योतिष में गर्दन का संबंध विशुद्ध चक्र से है, जिसे कंठ चक्र के नाम से भी जाना जाता है। यह चक्र संचार, आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मकता का केंद्र माना जाता है। यह स्वयं को स्पष्ट और सच्चाई से व्यक्त करने की क्षमता को नियंत्रित करता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित राजेश भोजराज शास्त्री से जानें गले में तिलक लगाने के लाभ के बारे में।
तिलक शब्द का अर्थ क्या है
तिलक, संस्कृत शब्द ‘तिला’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है तिल, चंदन के लेप, कुमकुम, हल्दी या राख जैसी पवित्र सामग्री का उपयोग करके माथे पर बनाया जाने वाला एक निशान। यह शुभता, आशीर्वाद और दैवीय सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। हिंदू परंपरा में, धार्मिक समारोहों, अनुष्ठानों और दैनिक पूजा के दौरान परमात्मा से आशीर्वाद प्राप्त करने और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर रखने के एक आसान तरीके के रूप में माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक न सिर्फ माथे पर बल्कि गर्दन पर भी लगाना एक शुभ काम माना जाता है।
गर्दन पर तिलक लगाने का महत्व
ज्योतिष में गर्दन का संबंध विशुद्ध चक्र से है, जिसे कंठ चक्र के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह ऊर्जा केंद्र संचार, अभिव्यक्ति और आत्म-अभिव्यक्ति को नियंत्रित करता है। ऐसा माना जाता है कि गर्दन पर तिलक लगाने से विशुद्ध चक्र सक्रिय और संतुलित होता है, जिससे स्पष्ट संचार, रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, गर्दन को भी एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है जहां से नकारात्मक ऊर्जाएं शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। गर्दन पर तिलक लगाने से व्यक्ति बुरी शक्तियों से सुरक्षा पाते हैं और अपनी आध्यात्मिक आभा बढ़ाते हैं। तिलक एक ढाल के रूप में कार्य करता है, नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है और सकारात्मकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, शरीर का प्रत्येक भाग विशिष्ट ग्रहों के प्रभाव से जुड़ा होता है। ज्योतिष के अनुसार गर्दन पर बुध ग्रह का शासन होता है, जो संचार, बुद्धि और अभिव्यक्ति को नियंत्रित करता है। बुध ग्रह वाणी की शक्ति और विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।
यदि आप गले पर तिलक लगाते हैं तो अपने जीवन में बुध के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि तिलक के माध्यम से बुध का आशीर्वाद लेने से व्यक्ति के संचार कौशल में वृद्धि हो सकती है, विचारों की स्पष्टता को बढ़ावा मिल सकता है और बेहतर अभिव्यक्ति की भावना जग सकती है। यह अभ्यास विशेष रूप से उन व्यवसायों से जुड़े लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके लिए प्रभावी संचार की आवश्यकता होती है। यदि आप शिक्षण या अध्यात्म के क्षेत्र से जुड़े हैं तो आपको गले पर तिलक लगाने की सलाह दी जाती है।
गर्दन पर तिलक लगाने से हानिकारक ग्रहों से मिल सकती है मुक्ति
ज्योतिष की मानें तो गर्दन पर तिलक लगाने से विशुद्ध चक्र को प्रभावित करने वाले हानिकारक ग्रहों के प्रभावों को कम किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति कमजोर है तो आपको यह उपाय जरूर करना चाहिए जिससे आपके बुध को मजबूत किया जा सकता है। इस उपाय से न सिर्फ बुध बल्कि अन्य कमजोर ग्रहों को भी मजबूत करने में मदद मिलती है।
गर्दन पर तिलक लगाने का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
गर्दन पर तिलक लगाने की प्रथा हिंदू परंपरा में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह अक्सर दैवीय आशीर्वाद और सुरक्षा का आह्वान करने के लिए धार्मिक अनुष्ठानों, समारोहों और त्योहारों के हिस्से के रूप में किया जाता है।
कुछ हिंदू अनुष्ठानों में, विवाहित महिलाएं वैवाहिक आनंद और शुभता के प्रतीक के रूप में गर्दन पर लाल तिलक लगाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह प्रथा पति-पत्नी के बीच के बंधन को मजबूत करती है और वैवाहिक संबंधों में सद्भाव को बढ़ावा देती है।
इसके अलावा, गले पर तिलक लगाना ईश्वर के प्रति भक्ति और समर्पण का एक रूप माना जाता है। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।