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खुद्नेश्वर स्थान मंदिर समस्तीपुर : श्रद्धा और आकर्षण का संगम

खुद्नेश्वर स्थान मंदिर समस्तीपुर

खुद्नेश्वर स्थान मंदिर समस्तीपुर

खुदनेश्वर स्थान भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है जो भारत के बिहार के समस्तीपुर जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। मंदिर का नाम खुदनी नाम की एक मुस्लिम महिला से विरासत में मिला, जिसने इस स्थान पर लिंगम पाया और भगवान शिव की भक्त बन गई।

खुदनेश्वर स्थान मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का इतिहास करीब सात सौ साल पुराना है। कहा जाता है कि 14वीं सदी में इस इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था। यहां पर लोग मवेशियों को चराने लेकर आते थे। खुदनी बीबी नाम की एक मुस्लिम महिला भी अपनी गाय लेकर यहां हर रोज आया करती थी। एक दिन खुदनी बीबी गाय चराकर घर लौटी। गाय को खुंटा में बांधकर जब दूहने का प्रयास किया तो दूध नहीं निकला।कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा।

खुदनी बीबी के सपने में आए भगवान शिव

गाय के दूध नहीं देने से खुदनी बीबी परेशान हो गई। एक दिन गाय चराने के क्रम में उसने देखा कि उसकी गाय एक निश्चित जगह पर खड़ी होकर अपने थन से दूध गिरा रही है। उस रात उसके सपने में खुद महादेव आए। भगवान ने खुदनी बीबी से कहा कि उसने जंगल में जो भी देखा, वह किसी को न बताए।

कब्र खोदने के दौरान निकला शिवलिंग

खुदनी बीबी ने अपने परिवार को ये बात बता दी। संयोगवश उसी रात खुदनी बीबी का देहावसान हो गया। परिवार के लोग दफनाने के लिए उसी जगह पर जंगल में गए, जहां गाय हर रोज अपना दूध गिराया करती थी। कब्र खोदने के दौरान कुदाल शिवलिंग से टकाराई और वहां से खून बहने लगा।  फिर लोगों ने उस जगह से तीन हाथ दक्षिण में दूसरी कब्र खोदकर खुदनी बीबी को दफन कर दिया।

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बेल-फल

ब्रिटिश काल में रखी गई मंदिर की नींव

इस घटना के बाद वहां पर लोगों की भीड़ जुट गई। हिंदू-मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने साथ मिलकर यहां पर शिवलिंग के साथ खुदनी बीबी के मजार की पूजा की। तब से ही मंदिर का नाम खुदनेश्वर स्थान मंदिर पड़ा। ब्रिटिश काल के दौरान, 1858 में  नरहन एस्टेट ने इस मंदिर की नींव रखी थी। तब से अब तक यह मंदिर काफी बदल गया है। इसका विकास धार्मिक न्यास बोर्ड की देखरेख में किया गया है। 

खुदनेश्वर स्थान मंदिर का निर्माण

ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान, नाथन एस्टेट ने 1858 में इस मंदिर का निर्माण किया और एक पुजारी को एक कार्यवाहक के रूप में नियुक्त किया। 2008 में बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष किशोर कुणाल ने बोर्ड से वित्तीय सहायता प्रदान की और इसे पर्यटकों के लिए हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शन करने के लिए विकसित करने की घोषणा की।

पूजा और त्यौहार

महा शिवरात्रि खुद्नेश्वर अस्थान मोरवा का प्रमुख त्योहार है। महा शिवरात्रि और श्रवण मास पर, विशेष रूप से श्रवण सोमवर पर दर्शन और पूजा के लिए हजारों भक्त यहाँ एकत्रित होते हैं।

श्रावण में भक्तों का भीड़

सावन के महीने में हर तरफ बोलबम के जयकारे हैं. बाबा भोलेनाथ की भक्ति भक्तों के सर चढ़कर बोल रही है. तो आइए आज हम आपको भोले नाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे बताते हैं जो केवल आस्था का प्रतीक ही नहीं बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल है. जी हां, गंगा जमुनी तहजीब वाली ये जगह है बिहार में समस्तीपुर के मोरवा का खुदनेश्वर धाम. जहां आने वाले भक्तों की श्रद्धा देखने लायक है. इस मंदिर में एक ही छत के नीचे मुस्लिम महिला खुदनी बीबी की मजार और शिवलिंग स्थापित है.

खुदनेश्वर स्थान मंदिर में क्या सुविधाएं हैं

यहां साल भर शिव भक्त माथा टेकने आते रहते हैं। यहां पर शादी, उपनयन, मुंडन संस्कार सहित अन्य मांगलिक कार्य भी होते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि सच्चे मन से जो भी भक्त खुदनेश्वरधाम में पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं, उनकी मनोकामना महादेव अवश्य पूरी करते हैं।

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