बिहार में मचे सियासी घमासान की वजह से संभावनाओं की सियासत शुरू हो चुकी है। सियासी गलियारों में कई तरह की क़यासबाज़ी हो रही है कि नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन को झटका देते हुए भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं। वहीं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायक और सांसदों की अहम बैठक होने वाली है। इसके साथ बिहार के अन्य दलों के राजनीतिक दिग्गजों की बैठक का दौर जारी है। इन्ही सब समीकरणों के बीच सीपीआईएमएल नेता दिपांकर भट्टाचार्य ने के बयान ने सियासी पारा चारा चढ़ा दिया है। उन्होंने कहा है कि जदयू भाजपा का साथ छोड़ती है तो मदद की जा सकती है। वहीं राजद की तरफ़ से भी समर्थन के संकेत मिले हैं।

सदन में मारपीट के मामले में हो सकती है कार्रवाई
बिहार में बदल रहे सियासी समीकरण के बीच अमित शाह ने राजद की बैठक से पहले ही यहां की कमान संभाल ली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देर रात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश से कॉल पर बात की है। वहीं सूत्रों की मानें तो अमित शाह के बिहार मचे सियासी उथल-पुथल की कमान संभालते ही राजद के कई विधायकों पर तलवार लटक गई है। सियासी गलियारों में भी यह चर्चा तेज़ हो गई है कि पिछले साल बजट सत्र के दौरान 23 मार्च को सदन में मारपीट के मामले में राजद विधायकों पर गाज गिर सकती है।

राजद के 18 विधायकों पर लटकी तलवार
राजद के 18 विधायकों पर विधानसभा की आचार समिति में तलवार लटकी हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को आचार समिति ने दो विधायकों पर सख्त सजा की अनुशंसा की है। इसके साथ ही 16 विधायकों पर भी कड़ी कार्रवाई होने के आसार हैं। बिहार के सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज़ है कि कोरोना संक्रमण की वजह विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे। लेकिन अब वह ठीक हो चुके हैं इसलिए बड़ा फैसला ले सकते हैं। ग़ौरतलब है कि चर्चाओं का बाज़ार यह भी गर्म है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अपनी सियासी चाल चलने की वजह से ही राजद विधायकों की सदस्यता भी रद्द हो सकती है।

विपक्ष के विधायकों ने किया था सदन में हंगामा
आपको बता दें कि पिछले साल 23 मार्च 2021 को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम को पारित कराने के दौरान विपक्ष के विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया था। विवाद इतना बठ गया था कि मार्शल द्वारा मामले को काबू किया गया था। इसी मामले की जांच आचार समिति को सौंपी गई थी। भाजपा विधायक राम नारायण मंडल आचार समिति के सभापति हैं। वहीं ज्ञानेंद्र ज्ञानू, अरुण सिन्हा, रामविशुन सिंह व अचमित ऋषिदेव समिति में मेम्बर की तौर पर शामिल हैं।