
सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश पूजन के साथ की जाती है. उसके बाद ही अन्य देवी-देवताओं को पूजा जाता है. वहीं, बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश जी को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से गणेश जी भक्तों के जीवन से दुखों का नाश करते हैं. और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
दैविक काल में देवताओं के विचारों में श्रेष्ठता को लेकर मतभेद हो गया. सभी देवता स्वंय को श्रेष्ठ बताने लगे और सर्वप्रथम पूजे जाने की बात कहने लगे. इस धर्म युद्ध में उपस्थित नारद जी ने कहा कि इसका उत्तर देवों के देव महादेव देंगे. नारद जी की बात सुन सभी देवी-देवता भगवान महादेव के पास पहुच गए.
देवताओं की बात सुनने के बाद भगवान शिव ने कहा कि आप सभी अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करके आएं और आप में से सर्वप्रथम जो ब्रह्मांड की परिक्रमा कर वापस लौटेंगे, उन्हें ही विजयश्री प्राप्त होगी. इतना ही नहीं, उनकी पूजा सबसे पहले की जाएगी. महादेव की बात सुनते ही सभी देवता अपने वाहन पर सवार होकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े. देवताओं की इस प्रतियोगिता में भगवान गणेश भी शामिल थे. लेकिन वे ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए नहीं गए.
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बल्कि उन्होंने सिर्फ माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा कर हाथ जोड़कर आदिशक्ति और देवों के देव महादेव को प्रणाम कर लिया. कुछ समय बाद जब सभी देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा कर लौट आए. महादेव ने भी भगवान गणेश को विजेता घोषित कर दिया. महादेव की बात सुन सभी को आश्चर्य होने लगा. उसके बाद महादेव ने देवताओं को गणेश जी को विजेता घोषित करने का कारण बताते हुए कहा कि माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है. माता-पिता की परिक्रमा करने के बाद किसी अन्य की परिक्रमा करने की जरूरत नहीं है. अतः आज से भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा की जाएगी. तभी से हर शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
भगवान गणेश की पूजा से मिलती है समृद्धि
भगवान गणेश को सभी अच्छे गुणों और सफलताओं का देवता माना जाता है, इसीलिए लोग हर अच्छे काम को करने से पहले गणेश जी की पूजा करना शुभ मानते है. भगवान गणेश के जन्मदिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म के लोग, आध्यात्मिक शक्ति के लिए, कार्य सिद्धि के लिए और लाभ प्राप्ति के लिए भगवान गणेश का पूजन धूमधाम से करते है. भगवान गणेश को सभी दुखों का हर्ता, संकट दूर करने वाला, सदबुद्धि देने वाला माना जाता है. उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक समृद्धि मिलती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं.

सिद्धि और बुद्धि हैं भगवान गणेश की दो पत्नियां
भगवान गणेश की दूसरी पत्नी का नाम बुद्धि था. इसीलिए, भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का प्रदाता भी माना जाता है. हाथी के मस्तिष्क को बुद्धि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. भगवान गणेश की एक पत्नी का नाम सिद्धि है. सिद्धि का तात्पर्य- समृद्धि से होता है. भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में संपन्नता और समृद्धि आती है. भगवान गणेश हमारे जीवन में आने वाली हर समृद्धि के शासक माने जाते हैं. माना जाता है कि भगवान गणेश, घमंड, स्वार्थ और अभिमान का नाश करते हैं. भगवान गणेश, विविध और शानदार तरीके से भौतिक जगत को अभिव्यक्त करते हैं.
अहंकार का नाश करते हैं गणपति
भगवान गणेश अपने बांए हाथ में एक कुल्हाड़ी धारण करते हैं जो उन्हे मानवीय भावनाओं से मुक्त दर्शाती है और उनके ऊपरी दांए हाथ में कमल है जो उनके अंदर सभी भावनाओं को दर्शाता है. अत: स्पष्ट है कि भगवान गणेश, भावनाओं पर विजय प्राप्त कर मानव जाति का उद्धार करते हैं. भगवान गणेश की पूजा करने से मनुष्य में मन में भरा अहंकार मिट जाता है. भगवान गणेश की सवारी, जो उनके पास ही बैठता है, दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति अंहकार को छोड़कर सही बन सकता है.
भगवान गणेश सदैव बाएं पैर को दाएं पैर रखकर बैठते हैं, जो उनके ज्ञान को दर्शाता है कि वह हर बात को अलग नजरिए से देखते हैं. यह दर्शाता है कि एक सफल जीवन जीने के लिए ज्ञान और भावनाओं का सही उपयोग करना चाहिए. भगवान गणेश, ओम और प्रणव का प्रतिनिधित्व करते हैं. ओम्, हिंदू धर्म का प्रमुख मंत्र है. भगवान गणेश की किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले इस मंत्र का जाप अवश्य किया जाता है.
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