

हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास में शुकल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। सुहागन स्त्रियों के लिए ये त्यौहार बेहद महत्व रखता है। आस्था , उमंग , सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव – पार्वती के पुनःमिलन के उपलक्ष में मनाया जाता है। माना जाता है की सबसे पहले ये व्रत माता पार्वती ने रखा था , भगवान् शिव को अपने वर के रूप में प्राप्त करने के लिए। तभी से ये उत्सव मनाया जाता है।चारो और हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज भी कहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं गीत गाती हैं , झूले झूलती हैं , और आनंद मनाती हैं। इस अवसर पर महिलाएं विशेष तौर से अपनी हथेलिओ अवं कलाइयों पर मेहँदी रचती हैं , इसी वजह से इसे मेहँदी पर्व भी कहा जाता है।
इस उत्सव की ख़ास विशेषता यह है की कुमारी कन्याओ से लेकर वृद्ध महिलाएं भी सम्मिलित होती है। हरियाली तीज के दिन सुहागन स्त्रियां हरे रंग का श्रृंगार करती हैं , इसके पीछे धार्मिक कारण के साथ वैज्ञानिक कारन भी शामिल है। मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। इसलिए महिलाएं सुहाग पर्व में मेंहदी अवश्य लगाती है। इसकी शीतल प्रकृति प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का भी काम करती है। ऐसा माना जाता है कि सावन में काम की भावना बढ़ जाती है। मेंहदी इस भावना को नियंत्रित करता है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। मेंहदी का औषधीय गुण इसमें महिलाओं की सहायता करता है। इस व्रत में सास और बड़े नई दुल्हन को वस्त्र, हरी चूड़ियां, श्रृंगार सामग्री और मिठाइयां भेंट करती हैं। इनका उद्देश्य होता है दुल्हन का श्रृंगार और सुहाग सदा बना रहे और वंश की वृद्धि हो।

हरियाली तीज का महत्व
सावन माह में मनाई जाने वाली हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है। इस तीज पर्व पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। मान्यता है कि इस तीज पर्व के दिन व्रत रखते हुए सुहागिन महिलाएं शिव-पार्वती की आराधना करती है तो उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करते हुए पूजा-पाठ और कीर्तन करती हैं। तीज पर मायके से सभी पूजा की सामग्री और श्रृंगार की वस्तुएं आती हैं। तीज का त्योहार विशेष महत्व होता है। यह हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
सावन तीज कितने तारीख को है
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया का आरंभ 18 अगस्त को रात 8 बजकर 1 मिनट से माना जा रहा है। जो कि 19 अगस्त को देर रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगी। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार तीज का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा।

हरियाली तीज व्रत और पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और नए वस्त्र पहनने चाहिए। उसके बाद सोलह श्रृंगार करें और पूरे दिन व्रत करें। भगवान शंकरजी और माता पार्वती की पूजा करें। आइये जानते हैं भगवान् शिव और माता पार्वती की पूजन कैसे करें –
– सबसे पहले हरियाली तीज के दिन सुबह जल्दी उठे और घर की साफ-साफई करें। फिर स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हुए घर को तोरण और मंडप से सजाएं।
– इसके बाद पूजा स्थल पर चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर भगवान शिव,माता पार्वती, भगवान गणेश,नंदी और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा बनाएं।
– मूर्ति की स्थापना हो जाने के बाद सुहाग की सभी पूजा सामग्री को एकत्रित करते हुए पूजा आरंभ करें और माता को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान शंकर को भी वस्त्र इत्यादि समर्पित करें।
– इसके बाद विधि विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती पूजा-आराधना आरंभ करें।
-अंत में हरियाली तीज की कथा सुनें।
– हरियाली तीज का व्रत रखने वाली सभी महिलाएं पूरी रात जागरण और कीर्तन करते हुए भगवान शिव और माता का नाम जपें।
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हरियाली तीज पूजन सामग्री
भगवान शिव को अर्पित करें ये पूजा सामग्री
गाय का दूध, गंगाजल, पंचामृत दही, मिश्री, शहद, नए वस्त्र, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, आदि
माता पार्वती को अवश्य चढ़ाएं ये चीजें
हरे रंग की साड़ी,चुनरी और सोलह श्रृंगार से जुड़े सुहाग के सामान जिसमें मुख्य रूप से सिंदूर, बिंदी, चूडियां, महौर, खोल, कुमकुम, कंघी, बिछिआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र इत्यादि।