 
        दुर्गा महा अष्टमी पूजा: पूजन विधि, कथा और महत्व
दुर्गा महा अष्टमी पूजा: पूजन विधि, कथा और महत्व
परिचय:
दुर्गा महा अष्टमी पूजा, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे देवी दुर्गा की महाशक्ति को पूजन और मानने के रूप में मनाया जाता है। इस अद्वितीय उपासना के दिन, लोग भगवानी की आराधना करते हैं और उनके महत्वपूर्ण कथा और पूजन विधि का पालन करते हैं।
पूजन विधि:
1. पूजन स्थल: दुर्गा महा अष्टमी पूजा का पूजन स्थल विशेष रूप से सजाया जाता है। एक सजीव दुर्गा मूर्ति को स्थापित किया जाता है, और उसे सुंदर फूलों और आभूषणों से सजाया जाता है।
2. कलश स्थापना: पूजा की शुरुआत में कलश स्थापना की जाती है, जिसे मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इस कलश में जल और पुष्प डाले जाते हैं, और वह पूजा के अग्रपूजन के लिए प्रयोग होता है।

3. मंत्र जाप: पूजा के दौरान, पंडित या पुरोहित मंत्र जाप करते हैं, और वही सबसे महत्वपूर्ण होता है। मां दुर्गा के नामों का उच्चारण और ध्यान धारणा किया जाता है।
4. आरती: पूजा के अंत में, भगवानी की आरती उतारी जाती है, जिसमें दीपकों का प्रदीपन किया जाता है।
कथा:
दुर्गा महा अष्टमी पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है दुर्गा कथा, जो हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। इस कथा के अनुसार, मां दुर्गा की रूप में वे भगवान शिव के पास आईं थीं, जिन्होंने उनकी आराधना की थी।
महिषासुर नामक दानव ने पृथ्वी पर अत्याचार किया और देवों के खिलाफ युद्ध का आलंब बढ़ा दिया। मां दुर्गा ने इस दानव को रोकने के लिए युद्ध किया और उसे पराजित किया। इससे मां दुर्गा को “महिषासुरमर्दिनी” कहा जाने लगा, जिसका अर्थ होता है “महिषासुर की हत्या करने वाली मां”।
ये भी पढ़ें: आचार्य विनोबा भावे के 11 प्रेरणादायक उद्धरण
महत्व:
दुर्गा महा अष्टमी पूजा का आयोजन विशेष धार्मिक और सामाजिक महत्व रखता है। इस पूजा के द्वारा, भक्त दुर्गा मां की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। यह पूजा शक्ति की महाशक्ति को सलामी देती है और लोगों को साहस और संयम की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
इस त्योहार के दौरान, समाज में एकता और सामाजिक सद्भावना की भावना फैलती है। लोग साथ मिलकर मां दुर्गा के दर्शन करते हैं, पूजा करते हैं, और प्रसाद बांटते हैं।

समापन:
दुर्गा महा अष्टमी पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमारे समाज की परंपराओं और आध्यात्मिक धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक अवसर है जब हम अपने आत्मा की शुद्धता को साधने का प्रयास करते हैं और दुर्गा मां की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन के माध्यम से हम अध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाते हैं और समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। यह त्योहार हमारे समाज को जीवंत और एकत्रित रखता है और हमें सान्निध्य और प्रेम की भावना सिखाता है।
ये भी पढ़ें: अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय – Atal Bihari Bajpayee biography
FAQs
दुर्गा अष्टमी की पूजा कैसे की जाती है?
मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि के आठवें दिन कौन सी माता की पूजा की जाती है?
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है।
उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया हो इसे पढ़ने के लिए धन्यवाद, ऐसे ही आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए जुड़े रहें Uprising Bihar के साथ। यह लेख पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें।
 
         
         
         
        