औरंगाबाद जिला, बिहार, भारत में एक शहर है। यह प्रशासन का जिला केंद्र है और इसकी आबादी 101,520 है इस क्षेत्र के लोग मगही और हिंदी बोलते हैं। औरंगाबाद भी देव सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । इसका निकटतम बड़ा शहर बोध गया में है। बिहार की राजधानी, पटना उत्तर पूर्व में 140 किलोमीटर है। शहर का क्षेत्र 3,389 वर्ग किलोमीटर है।औरंगाबाद आदिरी नदी के तट पर जलोढ़ मैदान पर स्थित है। औरंगाबाद जिले के माध्यम से पुनपुन, औरंगा, बटाणे, मोहर और मदर जैसे अन्य नदियां बहती हैं।

List of all attractions of Aurangabad : औरंगाबाद में कितने घूमने की जगहें हैं, यहां से पाएं पूरी जानकारी
म्हैसमाळ
म्हैसमाळ ये औरंगाबाद जिले का एकलौता हिलस्टेशन है जो दौलताबाद नजदीक ही स्थित है मानसून में इसकी खूबसूरती और भी बहर जाती है | इसे मराठवाड़ा का महाबलेश्वर भी कहते है म्हैसमाळ औरंगाबाद से ४० किमी की दुरी पर है |

सिद्धार्थ गार्डन
सिद्धार्थ गार्डन एंव चिड़िया घर ये गार्डन शहर के बीचोबीच बसा है यंहा पर भगवान बुद्धा की एक बेहद ही खूबसूरत मूर्ति है |यंहा के चिड़िया घर में शेर बाघ से लेके हर जंगली जिव पर्यटको को देखने को मिलते है,तथा सापो की विविध प्रजातियां भी पर्यटक देख सकते है |

पानचक्की
पानचक्की औरंगाबाद शहर के बाबा शाह मुसाफिर के दरगाह में इस पनचक्की का निर्माण १७ वी सदी में किया था | यंहा आने वाला पानी कहाँ से आता है ये अभी तक एक पहेली बना है, कहा जाता है की नजदीकी पहाड़ो से पानी जमींन के निचे से लाया गया है | पानी के दबाव से चक्की घुमाकर दरगाह आने वाले लोगो का खाना बनाने के लिए आटा पिसा जाता था |
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पैठण
पैठण गोदावरी नदी के किनारे पैठण शहर बसा है जो एक समय दक्षिण भारत के प्रमुख साम्राज्य सातवाहन राजाओ की राजधानी थी बाद में मराठी के मशहूर संत एकनाथ महाराज की जन्मस्थली भी है | पैठण दुनिया भर में अपनी पैठनी साड़ी के लिए जाना जाता है |यंहा पर महाराष्ट्र का सबसे बड़ा डैम जायकवाड़ी भी है और यंहा पर हर दिन फाउंटेन शो का आयोजन होता है |
घृष्णेश्वर मंदिर
घृष्णेश्वर मंदिर औरंगाबाद से २८ किमी दुरी पर एल्लोरा गुफाओ के एकदम नजदीक ही स्थित देश के बारा ज्योतिर्लिंग में से एक श्री घृष्णेश्वर का बेहद ही खूबसूरत मंदिर है |

औरंगबाद गुफाएँ
औरंगबाद गुफाएँ औरंगाबाद शहर से ४ किमी दुरी पर स्थित है यंहा पर सातवाहन समय की कुल १२ बौद्ध गुंफाये है जो की दो गुटों में बटी है | गुंफायो के सटीक निचे एक छोटासा बौद्ध विहार है भी है | यंहा आकर पर्यटकों के मन को काफी सकून और शांति मिलती है |

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दौलताबाद किला
दौलताबाद किला औरंगाबाद -एल्लोरा रस्ते पर है ये मध्युगीन भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला अपने स्थापत्य कला के लिए मशहूर है ये किला एक पुरे पहाड़ को तराशकर बनाया गया है | जिसे अल्लाउद्दीन खिलजी भी ३ महीने के कड़े संघर्ष के बाद भी नहीं जित पाया था |

बीबी का मक़बरा
बीबी का मक़बरा इसका निर्माण औरंगजेब के बेटे आज़म शाह ने सन १६६० में अपनी माँ ‘दिलरास बानू बेगम’ ( राबिया उड़ दुरानी) के याद में किया था ये हूबहुब ताज महल की तरह दीखता है इसीलिए इसे ताज ऑफ़ डेक्कन और मिनी ताज महल भी कहते है |

एल्लोरा
एल्लोरा की गुंफाये ये औरंगाबाद से २८ किमी दूर है यंहा पर बौद्ध ,हिन्दू और जैन धर्मियों के कुल ३४ गुफा मंदिर है | यंहा का प्रमुख आकर्षण है कैलाश मंदिर जिसे एक पुरे पहाड़ को तराशकर एक ही पत्थर से बनाया गया है और जिसे बनाने में कुल २०० साल लगे | ये गुंफाये यूनेस्को द्वारा संरक्षित है |

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अंजता
अंजता की गुंफाये प्राचिन भारत के स्थापत्य एंव चित्रकला का बेजोड़ नमूना है |अजंता औरंगाबाद से लगभग ११८ किमी जळगाव रोड पर है | यंहा पर कुल ३० बौद्ध गुफाएँ है | ईसा की पूर्व दूसरी सदी से लेकर ईसा की सातवीं सदी के बिच में इन गुंफाओं का निर्माण किया था | अजंता की चित्रकारी प्राचीन भारत के कला क्षेत्र की महारत दिखाती है दुनिया की पहली ३ डी पेंटिंग अजंता में ही पाए जाती है,यंहा की पद्मपाणि और वज्रपाणि पेंटिंग दुनियाभर में मशहूर है |
