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प्रमोद भगत का जीवन पारिचेय

प्रमोद भगत भारत के एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जो तीन बार के विश्व चैंपियन और टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हैं। उनका जन्म 1988 में हाजीपुर, बिहार में हुआ था और पांच साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था। इससे उनका बायां पैर विकलांग हो गया।

प्रमोद भगत भारत के एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जो तीन बार के विश्व चैंपियन और टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हैं। उनका जन्म 1988 में हाजीपुर, बिहार में हुआ था और पांच साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था। इससे उनका बायां पैर विकलांग हो गया।


प्रमोद भगत भारत के एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जो तीन बार के विश्व चैंपियन और टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हैं। उनका जन्म 1988 में हाजीपुर, बिहार में हुआ था और पांच साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था। इससे उनका बायां पैर विकलांग हो गया।

अपनी विकलांगता के बावजूद, प्रमोद को हमेशा खेल का शौक था। उन्होंने 13 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया और जल्द ही इस खेल के प्रति अपनी स्वाभाविक प्रतिभा दिखायी। उन्होंने स्थानीय टूर्नामेंटों में प्रतिस्पर्धा करना शुरू किया और जल्द ही पैरा-बैडमिंटन की दुनिया में प्रसिद्धि हासिल कर ली।

2013 में, प्रमोद ने पुरुष एकल SU5 श्रेणी में अपना पहला विश्व खिताब जीता। इसके बाद उन्होंने 2015 और 2017 में दो और विश्व खिताब जीते। वह तीन बार के एशियाई चैंपियन भी हैं, और उन्होंने कई अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते हैं।

2020 में, प्रमोद ने पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने पुरुष एकल एसयू5 फाइनल में फ्रांस के लुकास मजूर को हराया।

प्रमोद की कहानी दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया है कि अगर आपमें दृढ़ संकल्प और अपने सपनों को हासिल करने का जुनून है तो कुछ भी संभव है। वह विकलांग लोगों के लिए एक आदर्श हैं, और वह उन सभी एथलीटों के लिए प्रेरणा हैं जो अपने सपनों का पीछा कर रहे हैं।

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यहाँ कुछ चुनौतियाँ हैं जिनका प्रमोद ने अपनी सफलता की यात्रा में सामना किया है:

इन चुनौतियों के बावजूद, प्रमोद ने अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने कड़ी मेहनत की है और खुद को अपने प्रशिक्षण के लिए समर्पित किया है और उन्होंने अपने खेल में बड़ी सफलता हासिल की है। वह दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, और वह दिखाते हैं कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और अपने सपनों को हासिल करने का जुनून है तो कुछ भी संभव है।

ऐसे ही कुछ दिव्यांग बच्चो को सफल बनाने का जीम्मेवरी लिया है सान्वी फ़ाउंडेशन ने|

सान्वी फाउंडेशन की मदद करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:

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