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क्यों पहनती ये खास साड़ी साउथ इंडियन दुल्‍हन शादी में, जाने कुछ खास बाते

Why do South Indian brides wear this special saree in their wedding?
Why do South Indian brides wear this special saree in their wedding?

South Indian Sarees : हिंदू धर्म में शादी से जुड़े कई रीति-रिवाज हैं। खासतौर पर दुल्हन के लिए कई रस्में होती हैं, जिनका उसे शादी ( wedding  ) के दौरान पालन करना होता है। इतना ही नहीं, अलग-अलग राज्यों में शादी के अलग-अलग रीति-रिवाज ( customs and traditions ) हैं।

ऐसी ही एक प्रथा तमिलनाडु में अपनाई जाती है। यहां शादी ( wedding ) के समय दूल्हे द्वारा दुल्हन ( bride ) को उपहार के तौर पर एक साड़ी दी जाती है और दुल्हन को उसी साड़ी को पहनकर दूल्हे के साथ सात फेरे लेने होते हैं।

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इस साड़ी को ‘कुरई’ कहा जाता है। यह साड़ी खास होती है और दुल्हन ( bride ) का श्रृंगार तब तक अधूरा रहता है जब तक कि यह साड़ी दूल्हे के घर से नहीं आ जाती। आज हम आपको बताएंगे कि क्या है कुरई साड़ी की खासियत ( USP ) और क्या है इसका महत्व।

South Indian Sarees : कुरई नाम कैसे पड़ा?

तमिलनाडु के कोर्नाड में एक विशेष प्रकार की सूती साड़ी बनाई जाती है। यह साड़ी आमतौर ( usually )  पर मैरून रंग की होती है और इसमें हल्का रेशमी काम भी होता है। साड़ियों में चेक या पट्टियां होती हैं, जो पारंपरिक ( Traditional ) डिजाइन हैं। इसका नाम जगह के नाम से प्रेरित है और इसलिए इस साड़ी को कुरई नाडु कहा जाता है।

आपको बता दें कि नॉर्मल साड़ी में सिर्फ एक साइड का पल्लू होता है, वहीं कुरई ( kurai ) की साड़ी में दोनों साइड ( side ) का पल्लू होता है। लेकिन आज के चलन के हिसाब से इस साड़ी का पल्लू एक तरफ ही नजर आता है। इतना ही नहीं कुरई की साड़ी 9 मीटर की होती है। जहां अन्य साड़ियों ( sarees ) की लंबाई 6 मीटर होती है, वहीं यह साड़ी बहुत लंबी होती है।

How did the name Kurai come about?
How did the name Kurai come about?

South Indian Sarees : जानिए कुरई साड़ी का महत्व

इस साड़ी का महत्व यह है कि इसके बिना तमिल हिंदुओं में कोई भी शादी समारोह पूरा नहीं होता है। अलग-अलग साड़ियों में शादी ( wedding ) की विभिन्न रस्में निभाई जा सकती हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ( important ) रस्म गोल और सिंदूर की रस्म है, जो कुरई साड़ी पहनने पर ही की जाती है।

इस साड़ी को मंगलसूत्र के समान पवित्र माना जाता है। यह साड़ी नौ मीटर लंबी है, यानी साड़ी की लंबाई पति-पत्नी के रिश्ते ( relations ) जितनी लंबी है। यह साड़ी दूल्हे द्वारा खरीदी जाती है और दुल्हन को शादी के समय पहनने के लिए दी जाती है।

वैसे तो इस साड़ी में मैरून के साथ-साथ पीला, हरा, काला और लाल रंग भी मिलता है, लेकिन शादियों ( weddings ) में महरून रंग की साड़ियों को ही ज्यादा महत्व दिया जाता है।

south mein sadi kaise pehnate hain
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South Indian Sarees : कुरई साड़ी में बदलाव

परंपरागत रूप से यह साड़ी सूती कपड़े में ही बनाई जाती थी, लेकिन अब डिजाइन और पैटर्न में बदलाव ( shift )  के साथ कपड़ा भी बदल गया है। अब दुल्हनें कॉटन की जगह सिल्क और रॉ सिल्क की साड़ियां पहनना पसंद करती हैं।

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South Indian Sarees : इतना ही नहीं, इन साड़ियों में अब केवल लेस वर्क ही नहीं, बल्कि बीडवर्क और एम्ब्रॉयडरी भी की जाती है। इसलिए अब इसकी कीमत ( worth )  और बढ़ गई है। जहां सामान्य ( General )  कुरी साड़ी आपको बाजार में 1500 रुपये से 2000 रुपये के बीच मिल जाएगी, वहीं एक डिजाइनर साड़ी की कीमत 4000 रुपये से 11 हजार रुपये के बीच होती है।

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