छठ पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. 2023 छठ पूजा 4 दिवसीय में सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. इसमें व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते और उससे एक दिन पूर्व डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. छठ पूजा में पहला दिन नहाय-खाय का होता है, दूसरा दिन लोहंडा और खरना का होता है, तीसरा दिन छठ पूजा और संध्या अर्घ्य का होता है. चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पारण करके व्रत को पूरा करते हैं.
छठ पूजा सूर्य भगवान को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, जिसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में चार दिवसीय त्यौहार के रूप में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्यौहार कार्तिक महीने में मनाया जाता है, जो अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। इस त्यौहार के दौरान, भक्त विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिसमें पवित्र नदी में स्नान, व्रत और सूर्य भगवान पूजा की जाती है।

कब है छठ पूजा 2023?
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि 18 नवंबर दिन शनिवार को सुबह 09:18 ए एम से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 19 नवंबर दिन रविवार को सुबह 07:23 ए एम पर होगा. उदयातिथि के आधार पर छठ पूजा 19 नवंबर को है, उस दिन छठ पूजा का संध्या अर्घ्य दिया जाएगा.
कब है नहाय-खाय 2023?
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है. इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है. उस दिन सूर्योदय 06:45 ए एम पर और सूर्यास्त 05:27 पी एम पर होगा. इस दिन रवि योग और भद्रा दोनों हैं.
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छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए छठ पूजा करती हैं. छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन होता है. नहाय खाय के बाद से उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक व्यक्ति को निर्जला व्रत रखना होता है.
क्यों होती छठ पर सूर्य देव की पूजा?
छठ के दिन सूर्य देव की पूजा करना बेहद ही शुभ माना जाता है, क्योंकि उन्हें पृथ्वी पर सभी जीवन का स्रोत माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) महीने के दौरान मनाया जाता है, जो मानसून के मौसम के अंत और सर्दियों के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
हिंदू धर्म में, सूर्य देव को सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक माना जाता है और उनकी जीवनदायी ऊर्जा और शक्ति के लिए पूजा की जाती है। उन्हें पृथ्वी पर प्रकाश, गर्मी और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है और उनकी पूजा से अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी मिलती है।
इसके अलावा, छठ पूजा की रस्में सूर्य भगवान के प्रति कृतज्ञता दिखाने और परिवार की भलाई के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए की जाती हैं। चार दिवसीय उत्सव में व्रत, पवित्र नदियों स्नान करना, सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान सूर्य देव को प्रार्थना की जाती है। दूध और फूलों के साथ मिश्रित जल को भगवान सूर्य को अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है।
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छठ पूजा पर व्रत रखने के लाभ
हिंदू धर्म में छठ पूजा व्रत भक्तों द्वारा चार दिनों तक किया जाता है, इस दौरान वे किसी भी ठोस या तरल भोजन का सेवन करने से परहेज करते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत के कई भौतिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- शरीर की शुद्धि: छठ पूजा का व्रत विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों को शरीर से साफ करने में मदद करता है। व्रत रखने से जातक के पाचन में सुधार होता है।
- मानसिक शुद्धि: छठ पूजा का व्रत सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक के लिए लाभदायक होता है। यह व्रत मन को शुद्ध करने, नकारात्मक विचारों और भावनाओं को कम करने में मदद करता है।
- इच्छाशक्ति: छठ पूजा के दौरान चार दिनों के उपवास के लिए इच्छाशक्ति और आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है। व्रत रखने से भक्त अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करते हैं, जो उनके जीवन के अन्य पहलुओं में भी फायदेमंद हो सकता है।
- भक्ति: छठ पूजा के दौरान व्रत करना सूर्य देव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। व्रत रखने से, भक्त देवता के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं और एक आध्यात्मिक जागरूकता का अनुभव करते हैं
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