बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित ‘बाबा गरीबनाथ मंदिर’ को राज्य का ‘देवघर’ भी कहा जाता है. यह मंदिर आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है. मान्यता है कि इस मंदिर में भक्ति-भाव से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मुरादें लेकर जाते हैं. यह आने वाली सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इसलिए बाबा गरीबनाथ मंदिर ‘मनोकामनालिंग’ के नाम से भी मशहूर है.

बाबा गरीब नाथ मंदिर का परिचय
बाबा गरीबनाथ धाम जाग्रत शिव-स्थल के रूप में निरंतर प्रसिद्द है । यहाँ दूर दूर से आनेवाले श्रद्धालु भक्तों की आस्था इनके दर्शनोंप्रान्त और भी गहरी होती चली जाती है।
जन-जन का विश्वास देवाधिदेव महादेव में अकारण ही नहीं है।शिव सबके है ।जो भी शुद्ध मन और विश्वास के साथ इनके द्वार पर आता है,उसे दर्शन से केवल कृतार्थ ही नहीं करते बल्कि उसकी मनोकामना भी पूरी करते है। उसके दुखो को दूर करके उसके जीवन में सुख और आनंद का संचार करते है। जीवन के प्रति अटूट विश्वास और आत्मा के प्रति सजगता का निरंतर सन्देश देते हुए शिव समदर्शी भाव में सहज ही विराजते रहते है। उनके यहाँ कोई विभेद नहीं। जिसने भी उनका स्मरण किया,उनकी पूजा-अर्चना की उसी के वे हो गए । विषम परिस्थिति में भी शांतचित और शांतभाव से रहने की प्रेरणा देते हुए शिव चेतना के उस शिखर पर विराजते रहते है जहा से सबकुछ को सहज ढंग से देखा-समझा जा सकता है। संसार को संकटों से मुक्त कर देने वाला ही ‘शंकर’ होता है। सबके जीवन की रक्षा करने के लिए कालकूट विष का पान कर लेने वाला ही ‘शिवशंकर’ होता है । ओधर,आशुतोष भोलेदानी ही सही अर्थ में ‘गरीबनाथ’ होते है। जिसका कोई नहीं ईश्वर उसका सबसे ज्यादा होता है। शिव सबके अंतर्मन को झंकृत करते हुए आनंदमय वातावरण में जीव को खींच कर ले जाते है।
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बाबा गरीब नाथ मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है। मुजफ्फरपुर में आप जिन शिव मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं उनमें से एक है बाबा गरीब नाथ मंदिर। यह मंदिर बाबा गरीब स्थान मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है।
मंदिर में शिवलिंग उन सात पीपल के पेड़ों से आया है जो कभी यहां थे। जब एक आदमी पेड़ काट रहा था तो उसने देखा कि पेड़ों से खून बह रहा है। यहां एक विशाल शिव लिंग पाया गया। जमींदार के स्वप्न में बाबा गरीब नाथ प्रकट हुए। बाबा भगवान शिव के दिव्य अवतार थे। बाबा गरीब स्थान मंदिर एक बहुत पुराना मंदिर है और इसे बिहार के देवघर के नाम से जाना जाता है।

श्रद्धालु आसपास के इलाकों और दूर-दूर से यहां आकर शिवलिंग की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मंदिर प्रांगन में जो कल्पवृक्ष जिनकी पूजा होती है वे शिवलिंग के प्राकट्य से भी ज्यादा पुराना है । श्रावण मास में कावरिओं द्वारा सोनपुर से गंगाजल लाकर बाबा पर अर्पित करने की तीव्र शुरुआत सन 1960 के आस-पास से की गई । शिवलिंग जहाँ प्रकट हुए वह क्षेत्र पहले जंगल था ।
बाबा गरीब नाथ मंदिर में श्रावण में कांवर यात्रा

मुजफ्फरपुर जिले में श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भारी संख्या में कांवरियों द्वारा बाबा गरीबनाथ मंदिर में रविवार रात्रि से सोमवार तक जलाभिषेक किया जाता है। पहलेजा घाट से जल लेकर सोमवारी को जल चढ़ाया जाता है. सावन के महीने में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है. हर साल कांवड़ियों की संख्या में 10-15 फीसदी बढ़ोतरी हो रही है. बाबा का महाश्रृंगार प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार एवं महा शिवरात्रि को किया जाता है |
बाबा गरीब नाथ मंदिर में श्रावणी मेला
बाबा गरीब नाथ मंदिर में हर साल एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जिसे “बाबा गरीब नाथ मेला” के नाम से जाना जाता है। यह मेला मुजफ्फरपुर के सबसे प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है। इस मेले में बहुत सारे श्रद्धालु और पर्यटक एकत्र होते हैं और बाबा गरीब नाथ की पूजा और भक्ति करते हैं। यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों, वाणी संध्या, गायन और नृत्य के साथ आयोजित होता है। यह मेला मुजफ्फरपुर के पर्यटन को बढ़ावा देता है और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा प्रदान करता है।
बाबा गरीब नाथ मंदिर मुजफ्फरपुर शहर के लोगों के लिए आस्था, श्रद्धा और धार्मिक विश्वास का महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता, वास्तुशास्त्रीय महत्व और मेले के माध्यम से यात्रियों को आकर्षित करता है।
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