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पुण्यतिथि विशेष : मदर टेरेसा के जीवन की पांच प्रमुख घटनाएं |

Mother Teresa biography

दोस्तों मदर टेरेसा को कौन नहीं जानता, वह एक कैथोलिक नन और मिशनरी थी। जिन्होंने गरीब और अनाथों के लिए बहुत सारे अच्छे काम भी किए। और इन्हीं कामों के परिणामस्वरूप उन्हें नोबेल पीस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। और आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हम उनके जीवन की पांच महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में आपको बताएंगे।

1. मदर टेरेसा का जन्म:

मदर टेरेसा का असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू है और उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कॉप्जे (मसेदोनिया) में हुआ था। उनके जन्म के समय पर उनकी एक बड़ी बहन और एक भाई था। जब वह सिर्फ 12 साल की थी तभी उन्होंने यह निश्चय किया था कि वह अपना जीवन गरीबों और दुखियों के कल्याण में लगाएंगी।

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2. छोटी उम्र में नन बनने का फैसला:

mother teresa young pics

उन्होंने अपनी 12 साल की छोटी उम्र में ही कैथोलिक नन बनने का फैसला किया और 1928 में कोलकाता के लोरेटो हाउस में आ गई। और जब वह 27 साल की थी तब उन्होंने नन के रूप में अपनी प्रतिज्ञा ली और मारिया टेरेसा के नाम को भी अपनाया।

3. मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना:

mother teresa missionaries of charity

सन 1929 में मदर टेरेसा भारत आई और उन्होंने अपनी शिक्षा दार्जिलिंग से पूरी की। फिर मदर टेरेसा ने वही बच्चों को पढ़ाना भी शुरू किया और साथ में बंगाली भाषा भी सीखी। मदर टेरेसा ने अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए सन 1946 में कोलकाता के गरीब दुखियों के लिए मिशनरीज का चैरिटी की स्थापना की। इस मिशनरीज की मदद से उन्होंने गरीबों को दवाइयां भजन और रहने के लिए घर तक की सुविधा प्रदान की।

4. नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चयन:

mother teresa nobel peace prize

सन 1970 तक मदर टेरेसा अपने महान कार्यों के लिए काफी प्रसिद्ध हो चुकी थी। उनकी चर्चा माल्कोम मुगेरिज के वित्त चित्र और समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गोड जैसी पुस्तकों में भी की गई। मदर टेरेसा को अपने मानवीय कार्यों के लिए सन 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ थी उन्हें सन 1980 में भारत के सबसे उच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। 

5. मदर टेरेसा की मृत्यु:

mother teresa death

गरीबों की मदद करते-करते मदर टेरेसा की काफी उम्र निकल चुकी थी और बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनकी तबीयत भी खराब होने लगी। जब वह रूम में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने गई थी तभी उन्हें 73 साल की उम्र में पहले दिल का दौरा पड़ा। परेशानी बढ़ाने की वजह से 13 मार्च 1957 में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया था। और आखिरकार मदर टेरेसा की 87 साल की उम्र में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु कोलकाता में हुई और उन्हें वही के सेंट फ्रांसिस चर्च में दफनाया गया।

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मदर टेरेसा एक बहुत ही महान और प्रेरणा स्रोत से भरपूर महिला थी। उन्होंने अपने पूरे जीवन में गरीब अनाथ और दुखियों की मदद करने का प्रण लिया था। और अपना सब कुछ उन्हीं के प्रति समर्पित कर दिया। इसीलिए दुनिया भर में आज भी वह लोगों के लिए आदर्श मानी जाती हैं और आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।

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