
दोस्तों महात्मा गांधी हमारे देश के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है। उन्होंने पूरी दुनिया में अहिंसा का प्रचार प्रसार किया है उनके अहिंसा वादी विचार आज भी पूरे देश भर में प्रासंगिक है। उन्होंने अहिंसा को एक प्रभावशाली हथियार के रूप में इस्तेमाल करके सत्य और नायक की स्थापना करने का मार्ग लोगों को दिखाया है। महात्मा गांधी के विचारों से हमें आज भी यह सीख मिलती है कि अहिंसा से हम अपने विचारों को लोगों तक शांतिपूर्वक पहुंच सकते हैं और समझा सकते हैं।
इसीलिए हमारे आज के लेख में हम महात्मा गांधी के अहिंसा वादी विचारों को आप तक पहुंचने ले आए हैं। तो आइए देखते है महात्मा गांधी के 15 अहिंसा उद्धरण…
1. कमज़ोर कभी क्षमा नहीं कर सकते, क्षमा तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है।

2. आप असत्य को कितना भी बढ़ा चढ़ा कर बोलें, वो सत्य नहीं बन जाता। इसी तरह सत्य भी असत्य नहीं बनता।

3. मेरे पास दुनिया को सिखाने के लिए कुछ नया नहीं है। सत्य और अहिंसा पहाड़ियों की तरह पुराने हैं। मैंने जो कुछ भी किया है, वह दोनों में प्रयोगों का प्रयास करने के लिए है जितना कि मैं कर सकता हूं।

4. सज्जनता, आत्म-बलिदान और उदारता किसी एक जाति या धर्म का अनन्य अधिकार नहीं है।

5. हमारी मासूमियत जितनी बड़ी होती है, हमारी ताकत उतनी ही बड़ी होती है और हमारी जीत को मजबूत करती है।

6. मनुष्य उस हद तक महान बन जाता है, जिसमें वह लोगों के कल्याण के लिए काम करता है।

7. श्रेष्ठ होने का अनंत प्रयास मनुष्य का कर्तव्य है; यह अपना प्रतिफल है। बाकी सब कुछ भगवान के हाथ में है।
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8. हर उस एक पापी को क्षमा किया जा सकता है, जो हृदय से पश्चाताप करे।

9. सच्ची साधना के लिए केवल मन में भक्ति होने चाहियें, इसके लिए मन और आंखों के कान बंद करने होते हैं। इसलिए प्रार्थना के दौरान आंखें बंद करना इस तरह की एकाग्रता के लिए एक सहायता है।

10. जब तक आप किसी को वास्तव में खो नहीं देते, तब तक आप उसकी अहमियत नहीं समझते।

11. हमको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक महासागर के सामान है, यदि सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो पूरे महासागर को गंदा नहीं कहा जा सकता।

12. जब तक विनम्रता और सीखने की इच्छा न हो तब तक कोई ज्ञान अर्जित नहीं किया जा सकता।

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13. मानव प्रकृति स्वयं को तभी पाएगी जब उसे पूर्ण रूप से यह पता चले कि मानव होने के लिए उसे जानवर या क्रूर होना बंद करना होगा।

14. प्रयास करने में ही संतोष निहित है, प्राप्ति में नहीं। आपका पूर्ण प्रयास ही आपकी पूर्ण विजय है।

15. बुराई के साथ असहयोग उतना ही कर्तव्य परायण है जितना कि अच्छे के साथ सहयोग।

तो दोस्तों यह थे महात्मा गांधी के अहिंसा उद्धरण जिनसे हमें नैतिकता और शांति प्रियता की सीख लेनी चाहिए। महात्मा गांधी ने अहिंसा को एक ऐसा मार्ग बताया है जिससे समाज और इंसान दोनों का ही कल्याण हो सकता है। वह हमें सिखाते हैं कि हिंसा करने से किसी समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम अहिंसा के साथ दूसरों का सम्मान और उनसे अच्छा व्यवहार करें।
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