विद्यार्थियों हेतु 20 संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

विद्यार्थियों हेतु 20 संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

विद्यार्थियों हेतु 20 संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

ये श्लोक न केवल शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन, प्रेरणा और नैतिकता की शिक्षा भी देते हैं

विद्यार्थियों हेतु 20 संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

संस्कृत श्लोकों का ज्ञान हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। ये श्लोक न केवल शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन, प्रेरणा और नैतिकता की शिक्षा भी देते हैं। यहां 20 संस्कृत श्लोक और उनके हिंदी अर्थ प्रस्तुत किए गए हैं जो विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक हो सकते हैं:

  1. विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वाद् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्॥
  • विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन मिलता है और धन से धर्म तथा सुख प्राप्त होता है।
  1. सत्यं वद, धर्मं चर।
  • सत्य बोलो, धर्म का पालन करो।
  1. विद्यां ददाति विनयं।
  • विद्या विनय प्रदान करती है।

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  1. शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।
  • शरीर ही सबसे पहला धर्म का साधन है।
  1. न चोरहार्यं न च राजहार्यं।
  • इसे चोर चुरा नहीं सकता, राजा हरण नहीं कर सकता।
  1. विद्या विहीनः पशुभिः समानः।
  • विद्या के बिना मनुष्य पशुओं के समान है।
  1. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:।
  • जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं।
  1. धर्मो रक्षति रक्षितः।
  • धर्म का पालन करने से धर्म आपकी रक्षा करता है।
  1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
  • आपका कर्म करने में ही अधिकार है, फल में नहीं।
  1. आहारनिद्राभयमैथुनं च।
    • आहार, निद्रा, भय और मैथुन यह मनुष्यों और पशुओं के समानता के गुण हैं।
  2. न हि कश्चित् क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
    • कोई भी क्षणभर के लिए भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता।
  3. सर्वे भवन्तु सुखिनः।
    • सब सुखी हों।
  4. माता शत्रुः पिता वैरी।
    • माता शत्रु होती है और पिता वैरी।
  5. यथा दृष्टि: तथा सृष्टि:।
    • जैसा दृष्टिकोण होता है, वैसी ही सृष्टि होती है।
  6. असतो मा सद्गमय।
    • असत्य से सत्य की ओर ले चलो।
  7. तमसो मा ज्योतिर्गमय।
    • अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
  8. मृत्योर्मामृतं गमय।
    • मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।
  9. दुर्जन: परिहर्तव्यो विद्ययाऽलंकृतोऽपि सन्।
    • दुर्जन व्यक्ति से दूर रहना चाहिए, चाहे वह विद्या से अलंकृत ही क्यों न हो।
  10. नास्ति विद्या समं चक्षुः।
    • विद्या के समान कोई आँख नहीं है।
  11. सत्यमेव जयते।
    • सत्य की ही जीत होती है।

ये श्लोक विद्यार्थियों के लिए न केवल प्रेरणादायक होते हैं, बल्कि इन्हें अपनी दिनचर्या में अपनाकर वे अपने जीवन को उन्नति के पथ पर ले जा सकते हैं। संस्कृत श्लोकों का अध्ययन और अभ्यास करने से विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों और संस्कारों का विकास होता है। ये श्लोक हमें हमारे जीवन के उद्देश्य और कर्तव्यों का बोध कराते हैं और एक उच्चतर जीवन की ओर प्रेरित करते हैं।

इस प्रकार, संस्कृत श्लोकों का ज्ञान विद्यार्थियों के जीवन को समृद्ध और उन्नत बनाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। आशा है कि ये श्लोक विद्यार्थियों के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होंगे।

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